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शहरी इलाके की सरकारी दुकानें दी गई सस्ते दर पर

शहर के प्रमुख व्यावसायिक इलाकों में नगर पालिका परिषद की सैकड़ों दुकानें कम किराए में फंसी हुई हैं। महज 150 से अधिकतम 1500 महीना किराया ही मिलता है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 18 Sep 2018 06:26 PM (IST)Updated: Tue, 18 Sep 2018 06:26 PM (IST)
शहरी इलाके की सरकारी दुकानें दी गई सस्ते दर पर
शहरी इलाके की सरकारी दुकानें दी गई सस्ते दर पर

जागरण संवाददाता, जौनपुर : शहर के प्रमुख व्यावसायिक इलाकों में नगर पालिका परिषद की सैकड़ों दुकानें कम किराए में फंसी हुई हैं। महज 150 से अधिकतम 1500 महीना किराया ही मिलता है। इससे परिषद को हर महीने लाखों रुपये के राजस्व की चपत लगती है। व्यावसायिक महत्व और इन्हीं स्थानों पर स्थित निजी क्षेत्र के भवनों व दुकानों के किराए से तुलना करें तो यह परिषद का किराया न के बराबर है। परिषद किराया बढ़ाना चाहे तो सबसे बड़ा अड़ंगा राजनीतिक दबाव है।

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नगर पालिका परिषद की 528 दुकानें इंद्रा मार्केट, लाल बहादुर शास्त्री मार्ग, जौनपुर जंक्शन रोड, सब्जी मंडी, नखास, कचगांव पड़ाव, कोतवाली पर है। यह दुकानें अधिकतम 10 फीट चौड़ी व 12 फीट लंबी से लेकर न्यूनतम सात फीट चौड़ी व पांच फीट लंबी है। इनसे प्रतिमाह डेढ़ से दो लाख रुपये ही राजस्व प्राप्त हो पाता है। हर पांच वर्ष में दुकानों का किराया 25 फीसद बढ़ाने के बाद भी यह प्राइवेट दुकानों के किराए के आधा भी नहीं पहुंच पा रहा है। इसका एक बहुत बड़ा कारण है कि किराए में अधिक बढ़ोतरी के लिए बोर्ड में सहमति नहीं हो पाती है। वजह कि जनप्रतिनिधि अपने क्षेत्र में राजनीतिक लाभ के कारण किराया बढ़ाने के प्रस्ताव पर मुहर नहीं लगाते है। इसका पूरा नुकसान नगर पालिका को उठाना पड़ रहा है। अगर किराए में बढ़ोतरी हो जाती तो इससे मिलने वाले राजस्व से नगर का और विकास होता। आवंटन किसी को काबिज कोई और :-

नगर पालिका परिषद की कई ऐसी दुकानें है जो आवंटित तो किसी और को हुई थीं लेकिन आज वहां कोई और काबिज है। कुछ तो ऐसे भी है जिन्होंने मालिक बनकर दूसरे को बेंच भी दिया है। जब मामला नगर पालिका के जिम्मेदारों तक जाता है तो मामला या तो कोर्ट पहुंच जाता है या फिर ठंडे बस्ते में। कोतवाली की 40 दुकानों का मामला हैंडओवर :-

नगर पालिका परिषद के कोतवाली पर स्थित 40 दुकानों का 90 साल के लिए पट्टा हुआ था। इन दुकानदारों का दो वर्ष पहले ही पट्टा पूरा हो गया। बावजूद इनके द्वारा पालिका को हैंडओवर नहीं किया गया। दुकानदारों द्वारा दुकान का रिन्यूवल करने का दबाव बनाया जा रहा है। नगर पालिका के न मानने पर दुकान संचालक कोर्ट चले गए है। क्या बोले जिम्मेदार :-

इस बाबत नगर पालिका परिषद के कर अधीक्षक ओपी यादव ने बताया कि नगर की 528 दुकानों से प्रति माह डेढ़ से दो लाख रुपये का किराया प्राप्त होता है। बोर्ड की बैठक में हर पांच वर्ष में 25 फीसद किराया की वृद्धि होती है। वर्तमान में दुकानों का न्यूनतम किराया 150 व अधिकतम 1500 रुपये किराया है।


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