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मौसम में उतार-चढ़ाव के साथ शुरू हुआ कोहरे का कहर

जागरण संवाददाता जौनपुर मौसम में उतार-चढ़ाव के साथ ही कोहरे का कहर शुरू हो गया ह

By JagranEdited By: Published: Wed, 25 Nov 2020 12:19 AM (IST)Updated: Wed, 25 Nov 2020 12:19 AM (IST)
मौसम में उतार-चढ़ाव के साथ शुरू हुआ कोहरे का कहर
मौसम में उतार-चढ़ाव के साथ शुरू हुआ कोहरे का कहर

जागरण संवाददाता, जौनपुर : मौसम में उतार-चढ़ाव के साथ ही कोहरे का कहर शुरू हो गया है। मंगलवार की सुबह कोहरे की चादर से आसमान ढंका रहा। जिसके चलते लोगों को आवागमन में परेशानी का सामना करना पड़ा। कोहरे के चलते आलू की फसल में रोगों के प्रकोप का खतरा बढ़ गया है। ऐसे में बचाव के लिए दवाओं का छिड़काव करें। रोगों से फसलों के बचने पर किसान अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।

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जिला उद्यान अधिकारी हरि शंकर ने बताया कि आलू की फसल को झुलसा रोग काफी नुकसान पहुंचाता है। प्रतिकूल मौसम विशेषकर कोहरा, बूंदाबादी एवं नम वातावरण में झुलसा रोग का प्रकोप तेजी से होता है। झुलसा रोग पत्तियों का सिरे से झुलसना प्रारंभ होकर तीव्रगति से फैलता है। पत्तियों पर काले रंग का जलीय धब्बे बनते हैं तथा पत्तियों की निचली सतह पर रूई की तरह फफूंद दिखाई देती हैं। तीन-चार दिनों में ही संपूर्ण फसल नष्ट हो जाती है। उन्होंने सलाह दिया कि रोग से बचाव के लिए जिक मैग्नीज कार्बाेनेट दो से 2.5 किग्रा को 800 से 1000 लीटर पानी में अथवा मैंकोजेब दो से 2.5 किग्रा 800 से एक हजार लीटर पानी में घोर बनाकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें। आवश्यक हो तो दस से 15 दिन में दूसरा छिड़काव कापर आक्सीक्लोराइड 2.5 से तीन किग्रा अथवा जिक मैग्नीज कार्बोनेट दो से 2.5 किग्रा तथा माहू कीट के प्रकोप की स्थिति में नियंत्रण के लिए फफूंदनाशक के साथ कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करें।

कृष्ण जन्मोत्सव की कथा सुन भक्त हुए भाव विभोर

जागरण संवाददाता, बदलापुर (जौनपुर): लौकरिया गांव में चल रही सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन सोमवार को कृष्ण जन्मोत्सव का प्रसंग सुन श्रोता भाव विभोर हो गए। प्रयागराज से पधारे रविशंकर दास शास्त्री महराज ने कहा कि श्रीकृष्ण का जन्म उस समय हुआ जब वासुदेव और देवकी कंस के कारागार में बंद थे। भगवान का जन्म होते ही जंजीरों से जकड़ा कारागार स्वयं खुल गया। कंस के दरबारी गहरी नींद में सो गए। वासुदेव ने श्रीकृष्ण भगवान को लेकर गोकुल की ओर प्रस्थान कर गए।

श्री महराज ने कहा कि वासुदेव भगवान श्रीकृष्ण को लेकर नंद बाबा के घर पहुंच गए। इसके बाद यमुना का जलस्तर कम हो गया और बारिश से प्रभु को बचाने के सारे प्रबंध भी हो गए थे। कथा में शास्त्रीजी ने कृष्ण भगवान के प्रेम से ओत-प्रोत भजनों की प्रस्तुति दिया, जिसे सुनकर श्रोता भावविभोर हो गए। पूर्व प्राचार्य डा. लालजी शुक्ल, रामसहाय पांडेय, प्रभाकर चतुर्वेदी, उपेंद्रमणि त्रिपाठी, रामजस शुक्ल, ऋषि देव शुक्ल मौजूद रहे।


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