पांच एकड़ सहफसली खेती कर हर वर्ष कमा रहे पांच लाख
जागरण संवाददाता गभिरन (जौनपुर) जनपद के अधिकांश किसान छोटी जोत के हैं। इनदिनों संसाधनो
जागरण संवाददाता, गभिरन (जौनपुर): जनपद के अधिकांश किसान छोटी जोत के हैं। इनदिनों संसाधनों की कमी व प्रकृति की मार से उनके लिए किसानी घाटे का सौदा साबित हो रही है। ऐसे किसानों के लिए समृद्धि की राह बन रही है सहफसली खेती। इससे कम लागत में अच्छा लाभ भी हो रहा है। यह कहना है कि खुटहन क्षेत्र के मोहम्मदपुर गांव निवासी माडल किसान समर बहादुर यादव का। कहते हैं एक दशक से पांच एकड़ में गन्ना व अरहर की सहफसली खेती करके प्रतिवर्ष औसतन पांच लाख रुपये की कमाई कर रहे हैं। उनकी लहलहाती फसल देखने के लिए दूरदराज से किसान आते हैं।
समर बहादुर यादव प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक हैं। अध्यापन के साथ ही वह आधुनिक किसान के रूप में भी क्षेत्र में काफी प्रसिद्ध हैं। बताया कि खुटहन क्षेत्र के निवासी व गन्ना विभाग अकबरपुर के अधिकारी दिनेश सिंह व गन्ना पर्यवेक्षक अकबरपुर सूबेदार यादव हमारे प्रेरणास्त्रोत हैं। इन्हीं दोनों के सहयोग से सहफसली खेती में मुकाम हासिल हुआ है। उन्नत खेती के लिए कृषि विभाग समय-समय पर नकद धनराशि व कृषि यंत्र देकर पुरस्कृत भी करता है। ऐसे करें गन्ने व अरहर की सहफसली खेती
माडल किसान समर बहादुर यादव ने अपनी सहफसली खेती का तरीका बताते हुए कहा कि सबसे पहले खेत की अच्छी तरह से जोताई करने के बाद ट्रेंच विधि से मेड़ बनाते हैं। इसके बाद मेड़ पर अरहर के बीज को बो देते हैं। अरहर की फसल को कम पानी की आवश्यकता होती है। इसके बाद दो मेड़ों के बीच खाली नाली नुमा स्थान में उचित दूरी पर गन्ने के टुकड़े को बो देते हैं। गन्ने की एक एकड़ फसल में लगभग आठ क्विटल बीज का प्रयोग करते हैं। इसके बाद उसमें पत्ता गोभी, चना, उड़द, मूंग, प्याज, आलू, सरसों, मटर और आलू की फसलें स्थिति को देखते हुए लगा देते सकते हैं। जब तक गन्ना तैयार होता है। यह फसलें कट जाती हैं। ऐसे में हर वर्ष अरहर, गन्ना सहित अन्य फसलों से लगभग पांच से छह लाख रुपये की कमाई हो जाती है। बताया कि इस उन्नतशील खेती के लिए दो बार कृषि विभाग पुरस्कृत भी कर चुका है।