पहिले लिहेन जम्हाई, फिर कहेन जल्दी अच्छा दिन आई
सरकार बदलने के बाद 'अच्छे दिन' आने की उम्मीद हर आमोखास को रही। प्रदेश में योगी सरकार
सरकार बदलने के बाद 'अच्छे दिन' आने की उम्मीद हर आमोखास को रही। प्रदेश में योगी सरकार के एक वर्ष से अधिक के कार्यकाल में जहां कुछ 'अच्छे दिन' की खुशियां एक-दूसरे से साझा कर रहे हैं तो कुछ भकुआए हुए लोग व्यवस्था को जस का जस बताते हुए भरहीक कोसने में जुटे हुए हैं।
शहर भ्रमण पर निकले नागरिक को जगह-जगह सरकार के कामकाज को लेकर खट्टी-मीठी बातें सुनने को मिलीं। नलकूप कालोनी तिराहे पर चाय की दुकान पर खड़े-खड़े कुछ लोग सरकार की समीक्षा करते रहे। कल्यानपुर टांडी के कैलाश निषाद ने अपने क्षेत्र की सड़कों के कायाकल्प होने की खुशी जाहिर करते हुए कहा कि भयवा हमहन सोचे ना रहे की एतनी नीक-चौड़ी सड़क बनी। उसी समय उनके सुर में सुर मिलाते हुए डा. विनय ने कहा कि अरे गर्मी में यह साल चकाचाक बिजली मिलल एके काहे भुलात ह। हालांकि उनकी बातों पर मुंह बिचकाते हुए संजय यादव, पारस चौहान ने कहा कि सांड़ जियरा के बवाल भयल हन अऊर एकठे छोट के काम बदे हम मुन्ना के साथे पंद्रह दिन से कचहरी दउड़त हई। हालत पहिलै जइसन बा कहूं सुनवाई ना हौ। सरकार की इस समालोचना सुनने के बाद नागरिक कचहरी के पास प्रबुद्ध जनों की एक अड़ी में पहुंचा तो वहां एक संस्था के मुखिया की कार्यशैली पर गर्मागरम बहस चल रही थी। लोगों द्वारा गुरुजी की उपमा से अलंकृत एक साहब धारा प्रवाह बोल रहे थे, अरे अइसन-कइसन बात की मीठा-मीठा गप, खट्टा-खट्टा थू। ओनकर अय्यार हर सही के गलत बतावै के हन तैयार। अब ई साहब का खौफ हौ की खुशामद ई उहै लोग जानैं। नागरिक थोड़ा आगे बढ़ा तो सियासतत में खासी दिलचस्पी लेने वालों की अड़ी जमी थी। वहां सरकार में संभावी फेरबदल की रूपरेखा लोग बड़े ही तर्क के साथ प्रस्तुत करते रहे। सत्तापक्ष से जुड़े एक नेता सभी की बातें लंबे समय से चुपचाप सुनते रहे। इसके बाद 'पहिले ऊ लिहेन लंबी जम्हाई, फिर कहेन मत घबरा जल्दी अच्छा दिन आई'। अब उनका संकेत किस ओर था, इसी गुत्थी को सुलझाने की उधेड़बुन में माथापच्ची करते हुए नागरिक अपने गरीबखाने की ओर बढ़ चला।
-नागरिक