किसान आठ लाख, महज एक फीसद के फसलों का ही बीमा
प्रकृति की मार से बर्बाद हो रहे किसानों को बचाने के लिए चल रही प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना जनपद में लापरवाही की भेंट चढ़ गई है।
जागरण संवाददाता, जौनपुर : प्रकृति की मार से बर्बाद हो रहे किसानों को बचाने के लिए चल रही प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना जनपद में लापरवाही की भेंट चढ़ गई है। निर्धारित तिथि बीत गई, लेकिन बीमा कंपनी के एजेंट गांवों में नहीं पहुंचे। कृषि विभाग द्वारा इक्का-दुक्का किसानों की फसलों का बीमा किया गया, शेष किसान क्रेडिट कार्ड पर कर्ज लेकर बोई गई फसलों का ही बीमा हो सका।
गत कई वर्ष से अवर्षण, ओलावृष्टि आदि के चलते फसलें नष्ट हो जा रही हैं। ऐसे में कर्ज लेकर खेती करने वाले किसानों को बर्बादी से बचाने के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना चलाई जा रही है। इसमें नाममात्र के प्रीमियम पर फसलों का बीमा किया जाता है। जनपद में एचडीएफसी एरगो जनरल इंश्योरेंस कंपनी को इसकी जिम्मेदारी दी गई है। कंपनी के एजेंट गांवों में नहीं पहुंच रहे हैं। जिसके चलते अन्नदाता महत्वाकांक्षी योजना के लाभ से वंचित हो रहे हैं। खामी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जिले के आठ लाख से अधिक किसान हैं। इनमें 8060 यानी एक प्रतिशत किसानों की ही फसलों का बीमा हुआ है। कृषि विभाग द्वारा मात्र 229 किसानों का बीमा किया गया बाकी कर्ज लेकर बोई गई फसलें बीमित हैं। बीमा कंपनी के एजेंट द्वारा शायद ही किसी किसान का बीमा किया गया हो। इन फसलों का होना था बीमा
रबी सीजन में चना, मटर, आलू, राई सरसों, गेहूं की फसलों का 31 जनवरी तक बीमा किया जाना था। ग्राम पंचायतों में 20 हेक्टेयर से अधिक अधिसूचित फसलों का ही बीमा किया जाता है। किसानों को मात्र 1.5 प्रतिशत प्रीमियम देना था। बाकी धनराशि केंद्र व प्रदेश सरकार द्वारा भुगतान करना है। जनपद में रबी फसलों का आच्छादन (हेक्टेयर में)
फसल- - आच्छादन
गेहूं- 212501
चना- 5138
मटर- 7840
राई सरसों- 6537
जौ- 582
मसूर- 168
रबी मक्का- 157
तोरिया- 2526
कुल आच्छादन- 235450 जनपद में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना रबी : 2019-20
फसलों का बीमा कराने वाले कुल किसान : 8060
गैर ऋणी कृषक : 229
ऋणी कृषक : 7831
बीमित क्षेत्रफल (हेक्टेयर में) : 4074.54 हेक्टेयर
किसानों द्वारा जमा की गई प्रीमियम राशि : 2413172.62 रुपये
कुल बीमित धनराशि : 160447109.20 रुपये ''प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत 31 जनवरी तक फसलों की बीमा की अंतिम तिथि थी। सरकार द्वारा 15 जनवरी तक डाटा अपलोड करने के लिए पोर्टल खुला था। बैंकों द्वारा 7831 ऋणी कृषकों की फसलों की बीमा किया गया। वहीं 229 किसानों ने खुद से बीमा कराया था।''
-कमल तिवारी, प्रभारी,एचडीएफसी एरगो जनरल इंश्योरेंस कंपनी। ''गोष्ठियों, समाचार पत्रों व संपर्क करके किसानों को बीमा से होने वाले लाभ के प्रति जागरूक किया गया। इसके बाद भी वह बीमा कराने में दिलचस्पी नहीं लिये, जबकि खरीफ में बीमित राशि का दो, रबी सीजन में डेढ़ और औद्यानिक फसलों का पांच प्रतिशत मामूली धनराशि किसानों को देनी होती। प्रीमियम की बाकी धनराशि सरकार खुद भुगतान करती है।''
-जयप्रकाश, उप कृषि निदेशक।