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समिति पर यूरिया के लिए किसानों की लग रही कतार

क्षेत्र में यूरिया के लिए किसानों में हाहाकार मचा है। बरसठी के साधन सहकारी समितियों पर

By JagranEdited By: Published: Mon, 24 Aug 2020 10:29 PM (IST)Updated: Mon, 24 Aug 2020 10:29 PM (IST)
समिति पर यूरिया के लिए किसानों की लग रही कतार
समिति पर यूरिया के लिए किसानों की लग रही कतार

क्षेत्र में यूरिया के लिए किसानों में हाहाकार मचा है। बरसठी के साधन सहकारी समितियों पर काफी दिनों से यूरिया न होने किसान परेशान थे। सोमवार को क्षेत्र के पपरावन, बरसठी, गोठांव में यूरिया पहुंचते ही वहां किसानों की लंबी कतार लग गई। हालांकि इस दौरान उपलब्धता को देखते हुए किसानों को एक से दो बोरी ही यूरिया मिल सकी।

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सरकार किसानों को यूरिया उपलब्ध कराने का दावा कर रही थी। लेकिन, गत 15 दिनों से यूरिया किसी भी समिति पर नहीं थी। बारिश होने के बाद ही किसानों को धान की फसल के लिए खाद की सबसे अधिक जरूरत पड़ती है। ऐसे में प्रशासन ने रविवार को यूरिया बरसठी के तीन समितियों पर भेजी। इस दौरान गोठांव समिति पर जैसे ही यूरिया पहुंची किसान सुबह से ही लंबी लाइन में लग गए। यूरिया लेने में किसानों को तीन से चार घंटे रुकना पड़ा इसके बाद भी किसी तरह यूरिया मिली।

निजी दुकानों से मंहगे दामों पर खरीदते हैं खाद व बीज

सहकारिता विभाग व अधिकारियों के गैरजिम्मेदाराना रवैया व जनप्रतिनिधियों की लापरवाही के चलते सराय कालिदास गांव स्थित साधन सहकारी समिति मईडीह पिछले 15 वर्षों से बंद पड़ी है। इस अवधि में सहकारी समिति को चालू करवाने में जनप्रतिनिधियों और सरकार ने भी ध्यान नहीं दिया। इसी का नतीजा है कि इस क्षेत्र के किसानों को न तो सरकारी खरीद पर खाद-बीज मिलता है और सस्ता फसली ऋण। इसका खामियाजा किसान भुगत रहे हैं।

सरकार व जनप्रतिनिधियों के उदासीन रवैया के कारण किसानों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। साधन सहकारी समिति मईडीह, सराय कालिदास, गदैया, गोपालपुर, जगन्नाथपुर, कोतवाली, जोगापुर, चहरपुर सहित लगभग छह ग्राम सभाओं के किसानों को इसका लाभ मिलता था। मईडीह के किसान लाल साहब शर्मा ने कहा कि गत 15 वर्षों से हमारे यहां साधन सहकारी समिति बंद है। इससे किसानों को बाजार से महंगे दामों पर खाद-बीज खरीदना पड़ रहा है। किसानों का हमदर्द बनने वाले जनप्रतिनिधि भी बेखबर हैं। राजकुमार शर्मा ने कहा कि साधन सहकारी समिति मईडीह में गत डेढ़ दशक से ताला लटका हुआ है। क्षेत्र के किसानों को प्राइवेट दुकानों से खाद व बीज लेना मजबूरी है, जहां अधिक मूल्य के साथ घटतौली का भी लोग शिकार हो रहे हैं। सरकार व जनप्रतिनिधियों का ध्यान अपेक्षित है।


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