कभी लगती थी भीड़, आज पाठकों का रहता है इंतजार
तालीम की नगरी जौनपुर में आजादी से पूर्व ¨हदी भवन में लाइब्रेरी की स्थापना की गई थी। यहां अच्छी-अच्छी किताबों का संग्रह है लेकिन आज यह पाठकों को इंतजार कर रही है। पुस्तकालय में संसाधन बढ़ने के साथ किताबों की संख्या बढ़ गई है। भागम-भाग की ¨जदगी, इंटरनेट, मोबाइल इसके प्रमुख कारण बताए जा रहे हैं।
जागरण संवाददाता जौनपुर : तालीम की नगरी जौनपुर में आजादी से पूर्व ¨हदी भवन में लाइब्रेरी की स्थापना की गई थी। यहां अच्छी-अच्छी किताबों का संग्रह है लेकिन आज यह पाठकों को इंतजार कर रही है। पुस्तकालय में संसाधन बढ़ने के साथ किताबों की संख्या बढ़ गई है। भागम-भाग की ¨जदगी, इंटरनेट, मोबाइल इसके प्रमुख कारण बताए जा रहे हैं।
नगर के अटाला मस्जिद के सामने बाबू रामेश्वर प्रसाद ¨सह ने वर्ष 1927 में ¨हदी भवन बनवाया था। इसका नाम तिलक पुस्तकालय रखा। श्री ¨सह स्वतंत्रता संग्राम सेनानी व पत्रकार थे। वर्तमान में यहां 18 हजार से अधिक पुस्तकें है। पहले जहां सैकड़ों पाठक पुस्तक पढ़ने आते थे। आज इनकी संख्या घटकर रोजाना करीब 25 पहुंच गई है। सुबह आठ से नौ बजे तक फिर सायं छह से आठ बजे तक पुस्तकालय खुलता है। लोगों का किताबों से रुझान कम होने के कारण यहां इक्का-दुक्का लोग ही आ रहे हैं। वह भी सुबह अखबार पढ़ने वालों की ज्यादा भीड़ रहती है। पुस्तकालय भवन संचालक की माने तो यहां कुछ ऐसी प्राचीनतम व विशेष किताब है जो अन्य जगहों पर नहीं है। इसकी एक वजह यह भी है कि आज के युवा किताबों से ज्यादा इंटरनेट की तरफ आकर्षित हो रहे है। शिक्षाविद् व साहित्यकार डा.ब्रजेश कुमार यदुवंशी की माने तो सोशल मीडिया व मोबाइल के आने से नई पीढ़ी का पुस्तकालय व किताबों से रुझान कम हो रहा है। वह ज्यादातर जानकारी गूगल से प्राप्त करना चाहते हैं, जबकि साहित्य को पढ़ने व समझने के लिए किताब से अच्छा कोई माध्यम नहीं है। क्या बोलीं संचालिका :-
¨हदी भवन की संचालिका आशा ¨सह ने कहा कि ¨हदी भवन के तिलक पुस्तकालय में प्राचीन व विशेष किताबें है जो किसी और जगह पढ़ने को शायद ही मिले। पहले तो पाठकों की काफी भीड़ हुआ करती थी अब रोजाना 25 पाठक ही पुस्तकालय आते हैं।