वायु प्रदूषण रोकने से ही टलेगा कोरोना का खतरा
कोराना वायरस गर्मी और मानसून में खत्म हो जाएगा ऐसा नहीं है। यह विश्वविद्यालय के एक रिसर्च में खुलासा हुआ। कोरोना वायरस के फैलाव में तापमान एक मात्र कारण नहीं है। रिसर्च में सलाह दी गई है कि कोरोना को लेकर गर्म देशों को भी पूरे एहतियात लागू करने चाहिए।
जागरण संवाददाता, मल्हनी (जौनपुर): कोराना वायरस गर्मी और मानसून में खत्म हो जाएगा, ऐसा नहीं है। यह एक रिसर्च में खुलासा हुआ। कोरोना वायरस के फैलाव में तापमान एकमात्र कारण नहीं है। रिसर्च में सलाह दी गई है कि कोरोना को लेकर गर्म देशों को भी पूरे एहतियात लागू करने चाहिए।
पूर्वांचल विश्वविद्यालय के रज्जू भैया भौतिकीय विज्ञान अध्ययन एवं शोध संस्थान के भू एवं ग्रहीय विज्ञान विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डा.श्रवण कुमार का शोधपत्र अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठित एल्सेवियर जर्नल 'साइंस ऑफ द टोटल एनवायरनमेंट' में प्रकाशित हुआ है। इसमें यह निष्कर्ष निकला कि कोरोना वायरस का प्रसारण गर्म और आर्द्र (उच्च निरपेक्ष आर्द्रता) वातावरण में कम हो सकता है। भारत की स्थिति में सही नहीं पाया गया है। इसके अलावा उन्होंने भारत में प्रतिबंध के समय वायु-प्रदूषण में हुई कमी का भी अध्ययन किया और पाया कि प्रतिबंध के समय वायु-प्रदूषण एवं एयरोसोल में करीब 50 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई जबकि यह गिरावट उत्तर भारत के लिए 60 प्रतिशत से ज्यादा पाई गई। उन्होंने बताया कि इस अध्ययन में, मार्च अप्रैल और मई महीने के लिए कोविड-19 वायरस से प्रभावित भारतीय क्षेत्र के स्थानीय मौसम के पैटर्न का विश्लेषण करते हुए दैनिक कोविड-19 के केस, तापमान, सापेक्ष आर्द्रता और निरपेक्ष आर्द्रता जैसे मौसम संबंधी मापदंडों के प्रभाव की जांच की गई है। हमने भारत भर में महामारी फैलाने में एयरोसोल की भूमिका की भी जांच की है क्योंकि इसकी संभावित प्रकृति हवा द्वारा फैलने की भी पाई गई है। प्रतिबंध अवधि के दौरान, एयरोसोल्स और अन्य प्रदूषक 60 से 45 प्रतिशत की गिरावट के साथ तेजी से कम हो गए। यह संभावना है कि इस कमी ने एयरोसोल कणों की अनुपलब्धता के कारण भारत में एयर ट्रांसमिशन के माध्यम से कोविड-19 के खतरे को कम कर दिया था। कुलपति समेत शिक्षकों ने उन्हें इसके लिए बधाई दी है।