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इच्छामृत्यु पर एकमत नहीं हैं चिकित्सक

जागरण संवाददाता, जौनपुर: अपनी पद्धति के संस्कार और संहिता इच्छा मृत्यु के बारे में आयुर्वेद प

By JagranEdited By: Published: Fri, 09 Mar 2018 09:05 PM (IST)Updated: Fri, 09 Mar 2018 09:05 PM (IST)
इच्छामृत्यु पर एकमत नहीं हैं चिकित्सक
इच्छामृत्यु पर एकमत नहीं हैं चिकित्सक

जागरण संवाददाता, जौनपुर: अपनी पद्धति के संस्कार और संहिता इच्छा मृत्यु के बारे में आयुर्वेद पद्धति के चिकित्सक ने इसे जायज बताया तो यूनानी पद्धति के चिकित्सक ने भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले को सराहनीय बताया। कहा कि प्राचीन यूनान में इच्छा मृत्यु को गुड डेथ भी कहा जाता है। जबकि होम्योपैथिक चिकित्सक के मुताबिक इस पद्धति में इच्छा मृत्यु के बारे में कोई उल्लेख नहीं है। एलोपैथिक चिकित्सक ने इस प्रकार की मृत्यु को कानूनन जायज ठहराए जाने की व्यवस्था करने की वकालत की।

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फोटो-16-आयुर्वेद संहिता संस्कार में इच्छा मृत्यु जायज

मुंगराबादशाहपुर क्षेत्र के कमालपुर गांव निवासी डीन फैकल्टी आफ आयुर्वेद ¨प्रसिपल आफ राजकीय महाविद्यालय लखनऊ से सेवानिवृत्त चिकित्सक डा.शिवकुमार मिश्र ने कहा कि आयुर्वेद चिकित्सा विज्ञान में अनादिकाल से इच्छा मृत्यु का प्रावधान चला आ रहा है। मनीषी पितामह भीष्म ने इच्छा मृत्यु अपनाया था। जल समाधि कैवल्य इच्छा मृत्यु के अनेक प्रसंग पुराणों में मिलते हैं। उन्होंने कहा कि यह मनुष्य का मौलिक अधिकार है। मनुष्य को कानून इच्छा मृत्यु पाने का अधिकार मिलना उचित है।

फोटो-17-प्राचीन यूनान में इच्छा मृत्यु कहा जाता था गुड डेथ

यूनानी पद्धति वाले अकबर हेल्थ क्लीनिक के डा.अखलाक अहमद ने कहा कि प्राचीन यूनान में इच्छा मृत्यु को गुड डेथ भी कहा जाता था। कई बार असाध्य बीमारियों के कारण मरीज में इच्छा मृत्यु के भाव पैदा होते हैं। उन्होंने कहा कि इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट का फैसला सराहनीय है। इसके उपयोग व दुरुपयोग पर भी समाज को नजर रखनी पड़ेगी।

फोटो-18-होम्योपैथ में इच्छा मृत्यु का उल्लेख नहीं

होम्योपैथिक चिकित्सक डा.अमरनाथ पांडेय ने कहा कि इच्छा मृत्यु के बारे में होम्योपैथ में कहीं कोई उल्लेख नहीं मिलता। यदि किसी व्यक्ति का मानसिक संतुलन ठीक नहीं है या किसी गंभीर बीमारी से पीड़ति है तो होम्योपैथ में उसका समुचित निदान है। किन्हीं परिस्थितियों में जो मरीज इच्छा मृत्यु चाहता है तो उसे सम्मान पूर्वक जीने के लिए होम्योपैथ की दवा प्रेरित करती है।

फोटो-19-इच्छा मृत्यु का प्राविधान जायज

हृदय रोग विशेषज्ञ डा.हरेंद्र देव ¨सह ने कहा कि यदि किसी व्यक्ति का मस्तिष्क काम करना बंद कर चुका है तो उसकी गंभीरावस्था को देखते हुए जीवन रक्षक प्रणाली हटाई जा सकती है। डा.¨सह ने कहा कि यदि किसी शारीरिक प्रताड़ना या अन्य वजहों से कोई इच्छा मृत्यु चाहता है तो यह अनुचित है। उन्होंने साफ कहा कि विशेष परिस्थिति व असाध्य रोगों में पीड़ति की इच्छा मृत्यु जायज है। इसका प्राविधान होना चाहिए। इसके लिए कानून बनाया जाए लेकिन किसी भी स्थिति में इसका दुरुपयोग न हो, इस पर ध्यान दिए जाने की जरूरत है।


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