प्लांट के लिए पर्यावरण प्रदूषण की जांच करेगा जिला पंचायत
प्लांट के लिए पर्यावरण प्रदूषण की जांच करेगा जिला पंचायत
जागरण संवाददाता, जौनपुर : पर्यावरण प्रदूषण जनपद ही नहीं देश की सबसे बड़ी समस्या है। इससे निजात के लिए अथक प्रयास के साथ ही विभिन्न योजनाओं में करोड़ों रुपये खर्च हो रहे हैं, लेकिन इसमें अपेक्षित सुधार की बजाय ग्रामीण अंचलों में भी प्रदूषण बढ़ रहा है। सूबे की सरकार ने ग्रामीण इलाकों में प्रदूषण की हकीकत जानने के लिए जिला पंचायत को भी जिम्मेदारी सौंपी है। विभागीय टीम ग्रामीण इलाकों में पानी व वायु में होने वाले प्रदूषण व कारणों की जांच करेगी।
मड़ियाहूं के रामपुर में सीमेंट प्लांट प्रस्तावित है। इसको लेकर शासन स्तर से जांच कमेटी बनाई गई है। इसकी जांच जिला पंचायत के अधिकारियों से कराई जाएगी। नियमत: मूलभूत आवश्यकताओं को देखकर जिला प्रशासन अनुमति देता है। केंद्रीय पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड इसकी जांच कराता है। इसमें हवा व पानी में बैलेंस ऑक्सीजन डिमांड व डिसॉल्व ऑक्सीजन को देखा जाता है। औसत मात्रा में होने के बाद ही इसकी अनुमति दी जाती है। यह तो प्रयोग है इसको आगे और भी जांच में लिया जायेगा। बोले अधिकारी
अपर मुख्य अधिकारी जिला पंचायत राहुल सिंह ने कहा कि शासन स्तर से जांच के लिए आदेश प्राप्त हुआ है। इसमें पर्यावरण प्रदूषण का स्तर क्या है, इसका मूल्यांकन करना है, जिसमें बीओडी व डीओ को देखा जाएगा। बोले पर्यावरणविद्
इस बाबत पूर्वाचल विश्वविद्यालय के पूर्व प्रभारी कुलपति व बायोटेक्नोलॉजी विभागाध्यक्ष प्रो. डीडी दुबे ने कहा कि फैक्ट्री की जांच में बैलेंट ऑक्सीजन डिमांड व डिसॉल्व ऑक्सीजन दोनों की जांच की जाती है। इसके बाद ही फैक्ट्री खोले जाने की अनुमति दी जाती है।