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मौत बनकर खड़े हैं ओवरहेड टैंक

जल निगम के ओवरहेड टैंक (पानी की टंकी) मौत बनकर खड़े हैं। अधिकतर ओएचटी टैंक की मियाद खत्म हो चुकी है। यह 30 वर्ष के लिए बनाए जाते हैं जिन्हें विशेष परिस्थितियों में पांच वर्ष अतिरिक्त चलाया जाता है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 19 Mar 2019 09:59 PM (IST)Updated: Tue, 19 Mar 2019 09:59 PM (IST)
मौत बनकर खड़े हैं ओवरहेड टैंक
मौत बनकर खड़े हैं ओवरहेड टैंक

जागरण संवाददाता, जौनपुर: जल निगम के ओवरहेड टैंक (पानी की टंकी) मौत बनकर खड़े हैं। अधिकतर ओएचटी टैंक की मियाद खत्म हो चुकी है। यह 30 वर्ष के लिए बनाए जाते हैं, जिन्हें विशेष परिस्थितियों में पांच वर्ष अतिरिक्त चलाया जाता है। जिले में बने अधिकतर ओएचटी टैंक निर्धारित समय सीमा को पार कर चुके हैं। कई ऐसे टैंक हैं, जो 35 वर्ष का समय पूरा कर चुके हैं। वर्ष 2017 में करोड़ों रुपये की लागत से नई टंकियों को बनाने की योजना भी आज तक धूल फांक रही है। पानी के किल्लत की वजह से तमाम गांव संकट से जूझ रहे हैं।

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जल निगम की अधिकतर योजनाएं तकरीबन 35 वर्ष पुरानी हो चुकी हैं। वर्ष 2017 में परियोजनाओं के पुर्नगठन के लिए 242 करोड़ रुपये का प्रस्ताव तैयार शासन को भेजा गया था, जिसकी मंजूरी नहीं मिल सकी। इसमे नई पाइप लाइनों को बिछाने के साथ ही ओवर हेड टैंक बनाने का प्रस्ताव था। मौजूदा समय में खराब पड़े मोटर व लीकेज की वजह से अधिकतर गांवों में पानी सप्लाई नहीं हो पा रही है, जिससे लोग परेशान हैं। गांव से लेकर नगर तक 87 ओवर हेड टैंक बनाए गए हैं। इनमें 35 ओएचटी टैंक की साफ-सफाई व देख-रेख का जिम्मा ग्राम पंचायतों को सौंपा गया है। आमतौर पर प्रत्येक वर्ष पानी की टंकियों की सफाई का निर्देश दिया गया है, लेकिन ऐसा किया नहीं जा रहा है। ओएचटी की साफ-सफाई का जिम्मा ग्राम पंचायतों को सौंपने के बाद स्थिति और खराब हो गई है। जल निगम अधिकारी गांवों में बनाए गए ओचएटी का हाल जानने कभी पहुंचते ही नहीं है।


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