शोधार्थियों के लिए कंप्यूटर ज्ञान जरूरी
वीर बहादुर ¨सह पूर्वांचल विश्वविद्यालय में सामाजिक विज्ञान के शोधार्थियों के लिए चल रही शोध प्रविधियां विषयक कार्यशाला का मंगलवार को तीसरा दिन रहा। काशी ¨हदू विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग के शिक्षक डा.तुषार कुमार ¨सह ने सामाजिक विज्ञान में प्रयुक्त होने वाले शोध अभिकल्पों की विस्तृत रूपरेखा शोधार्थियों के सामने प्रस्तुत की। उन्होंने कहा कि शोधार्थियों के लिए कम्प्यूटर ज्ञान भी महत्वपूर्ण हो गया है।
जागरण संवाददाता मल्हनी (जौनपुर): वीर बहादुर ¨सह पूर्वांचल विश्वविद्यालय में सामाजिक विज्ञान के शोधार्थियों के लिए चल रही शोध प्रविधियां विषयक कार्यशाला का मंगलवार को तीसरा दिन रहा। काशी ¨हदू विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग के शिक्षक डा.तुषार कुमार ¨सह ने सामाजिक विज्ञान में प्रयुक्त होने वाले शोध अभिकल्पों की विस्तृत रूपरेखा शोधार्थियों के सामने प्रस्तुत की। उन्होंने कहा कि शोधार्थियों के लिए कंप्यूटर ज्ञान भी महत्वपूर्ण हो गया है।
उन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि विभिन्न प्रकार के समस्याओं का उचित अध्ययन तभी हो सकता है जब उसके लिए प्रयोग की जाने वाली विधि और समस्या के अनुरूप हो। उन्होंने कहा कि कंप्यूटर के कारण आंकड़ों का विश्लेषण काफी सरल हो गया है। शोधार्थी को शोध विधियों को जानने के साथ कंप्यूटर का भी ज्ञान आना आवश्यक है। काशी ¨हदू विश्वविद्यालय मनोविज्ञान विभाग के प्रो.डा.संदीप कुमार ने कहा कि शोध प्रक्रिया के संपादन में सैंपल का महत्वपूर्ण स्थान है। उन्होंने उद्बोधन में सैंपल साइज, सैंपल तकनीकी व प्रविधियों के बारे में विस्तार से चर्चा की। प्रो.¨सह ने कहा कि सैंपल रिप्रेजेंटेटिव होना चाहिए तथा शोधार्थियों को सैंपल का चुनाव करते समय यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि उसमें त्रुटियां ना हो अन्यथा शोध परिणाम शुद्ध नहीं होंगे। 10 दिवसीय कार्यशाला में मगध विश्वविद्यालय, जयप्रकाश नारायण विश्वविद्यालय छपरा, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के भी शोधार्थी शामिल है। कार्यशाला के संयोजक डा.अजय द्विवेदी ने विद्वानों को स्मृति चिन्ह प्रदान किया।