मंदी की मार से कई जिलों में नहीं बढ़े सर्किल रेट
देश में आर्थिक मंदी की मार सिर्फ हाट-बाजार पर ही नहीं बल्कि सरकारी विभागों पर भी पड़ा है। जिसका असर है कि उपनिबंधक विभाग गत दो वर्षों के दौरान जनपद समेत पूर्वांचल के कई जिलों में सर्किट रेट तक को नहीं बढ़ाया।
दीपक उपाध्याय, जौनपुर
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देश में आर्थिक मंदी की मार सिर्फ हाट-बाजार पर ही नहीं, बल्कि सरकारी विभागों पर भी पड़ा है। जिसका असर है कि उपनिबंधक विभाग गत दो वर्षों के दौरान जनपद समेत पूर्वांचल के कई जिलों में सर्किट रेट तक को नहीं बढ़ाया। यह निर्णय पहले से पर्याप्त दर होने व कम रजिस्ट्री को देखते हुए लिया गया है। ऐसे में नोटबंदी के बाद से तिजोरी को भरने के लिए संघर्ष कर रहा विभाग उबर नहीं पा रहा है। अधिकारियों का कहना है कि गत कुछ वर्षों से जमीन की रजिस्ट्री में 30 फीसद से अधिक की गिरावट दर्ज की गई है। जिससे राजस्व की प्राप्ति के लिए अन्य मदों का सहारा लेना पड़ रहा है।
प्रदेश में एक सितंबर को प्रतिवर्ष उपनिबंधक विभाग अपने सर्किल रेट में बढ़ोतरी करता है। इस कड़ी में जौनपुर में भी एक सितंबर 2017 को सर्किल रेट में बढ़ोतरी के नाम पर मामूली विसंगति को दूर किया गया था। जानकारों का कहना है कि नवंबर 2016 में नोटबंदी के बाद से लोग भूमि का बैनामा व रजिस्ट्री पहले की अपेक्षा कम करा रहे हैं। कारण कि इनकम टैक्स विभाग की नोटिस के भय से जमीन में इन्वेस्टमेंट व प्लाटिग कराने वाली भूमि का बैनामा भी कम हो रहा है। स्थिति यह है कि 50 लाख से ऊपर की रजिस्ट्री पर ईडी को सूचना दे दी जाती है। अब केवल जरूरतमंद ही रजिस्ट्री करा रहे हैं, जैसे छोटे किसान व घर बनाने को ही लोग जमीन खरीद रहे हैं। बड़े पैमाने पर स्टांप की खरीद व रजिस्ट्री न होने पर निर्धारित राजस्व लक्ष्य की प्राप्ति नहीं हो रही है। पहले जहां उपनिबंधक कार्यालय प्रदेश सरकार को 100 फीसद से अधिक राजस्व देने वाला विभाग रहता था। इन सबको देखते हुए भी वर्ष 2018-19, वर्ष 2019-20 में भी सर्किल को पुरानी दर पर रखा गया। इन जिलों में नहीं बढ़े सर्किल रेट
जौनपुर, गाजीपुर, आजमगढ़, चंदौली, मऊ, गोरखपुर, देवरिया, कुशीनगर, महाराजगंज, सिद्धार्थनगर, सुल्तानपुर, अमेठी में गत दो साल से सर्किल रेट नहीं बढ़ाए गए हैं। इन जिलों में हुई मामूली बढ़ोतरी
प्रयागराज जनपद में वर्ष 2019-20 के लिए रिवाइज स्टीमेट तैयार किया गया। यहां पर औसत तीन फीसद सर्किल रेट बढ़ाया गया है। वाराणसी में 95 फीसद भूमि में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है, जबकि पांच फीसद भूमि में एक फीसद बढ़ोत्तरी हुई है। वहीं बस्ती व संत कबीर नगर में दो से चार गांवों में मामूली वृद्धि की गई है। जौनपुर में कुछ वर्षो में रजिस्ट्री से मिले राजस्व
वर्ष लक्ष्य प्राप्ति फीसद
2016-17 - 55 करोड़ 27 लाख- 52 करोड़- 95 फीसद
2017-18 - 66 करोड़ दो लाख- 53 करोड़ 30 लाख-81 फीसद
2018-19 - 70 करोड़ 14 लाख-65 करोड़ 38 लाख-94 फीसद
अगस्त तक का 2019-20- 15 करोड़ 91 लाख- 14.32 करोड़-90 फीसद ''पहले की अपेक्षा अब छोटी रजिस्ट्री हो रही है। लोग बड़े बैनामे व रजिस्ट्री कराने नहीं पहुंच रहे हैं। भूमि के बैनामे में 30 फीसद से अधिक गिरावट आयी है। इससे पहले जहां रजिस्ट्री से सौ फीसद से अधिक राजस्व की प्राप्ति हो जाती थी, अब स्टांप को लेकर भी पूरा नहीं हो रहा है। जौनपुर समेत पूर्वांचल के अधिकतर जिलों में सर्किल रेट की बढ़ोतरी नहीं हुई है। इक्का-दुक्का जगहों पर हुई है तो वह भी मामूली वृद्धि है।''
-प्रवीण कुमार सिंह, एआइजी स्टांप।