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पूर्व एसडीएम, सीओ, कोतवाल समेत छह के खिलाफ वाद दर्ज

डिक्रीशुदा जमीन पर कब्जा दिलाने, आदेश फर्जी बताते हुए फाड़ने, कोर्ट को अपशब्द कहने का आरोप तत्कालीन तहसीलदार शाहगंज ने वादी की जमीन बताते हुए एसडीएम को दी थी रिपोर्ट जागरण संवाददाता, जौनपुर: शाहगंज थाना क्षेत्र के ताखा पूरब निवासी वादी की डिक्रीशुदा जमीन पर विपक्षी को कब्जा दिलाने,आदेश को फर्जी बताकर फाड़ने,गालियां, धमकी देने के मामले में सीजेएम ने तत्कालीन एसडीएम जयनारायण, क्षेत्राधिकारी अवधेश, कोतवाल नागेंद्र प्रसाद समेत 6 आरोपियों के खिलाफ धोखाधड़ी, अपराध में सहयोग करने, पदीय कर्तव्यों की उपेक्षा करने का वाद दर्ज किया।

By JagranEdited By: Published: Tue, 25 Sep 2018 09:40 PM (IST)Updated: Tue, 25 Sep 2018 09:40 PM (IST)
पूर्व एसडीएम, सीओ, कोतवाल समेत छह के खिलाफ वाद दर्ज
पूर्व एसडीएम, सीओ, कोतवाल समेत छह के खिलाफ वाद दर्ज

जागरण संवाददाता, जौनपुर: शाहगंज थाना क्षेत्र के ताखा पूरब निवासी वादी की डिक्रीशुदा जमीन पर विपक्षी को कब्जा दिलाने,आदेश को फर्जी बताकर फाड़ने,गालियां, धमकी देने के मामले में सीजेएम ने तत्कालीन एसडीएम जयनारायण, क्षेत्राधिकारी अवधेश, कोतवाल नागेंद्र प्रसाद समेत 6 आरोपियों के खिलाफ धोखाधड़ी, अपराध में सहयोग करने, पदीय कर्तव्यों की उपेक्षा करने का वाद दर्ज किया।

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शिवपूजन निवासी ताखा पूरब ने कोर्ट में धारा 156 (3)के तहत दरखास्त दिया कि उसके दादा राजाराम के पक्ष में सिविल कोर्ट में आराजी के संबंध में डिक्री पारित हुई। उसने कलावती के पुत्र जगदंबा के खिलाफ इजरा दाखिल किया। 16 दिसंबर 2016 को डिक्रीशुदा जमीन पर पुलिस की सहायता से उसे कब्जा दिलाया गया। 6 जनवरी 2017 को इजरा निस्तारित हो गया।कब्जा मिलने के बाद जमीन पर कुछ लोग कब्जा करने लगे।तत्कालीन तहसीलदार शाहगंज ने 17 जुलाई 2017 को एसडीएम शाहगंज को स्पष्ट आख्या दिया कि जमीन वादी की है। इसके बावजूद आरोपी लल्लू आदि के शह पर तत्कालीन एसडीएम जय नारायण, क्षेत्राधिकारी अवधेश, कोतवाल नागेंद्र विपक्षियों को वादी की जमीन पर कब्जा दिलाने लगे।कोतवाली शाहगंज में शिकायत करने गया और आदेश की कॉपी दिखाया तो कहे कि बहुत आदेश कोर्ट से आते हैं। यह फर्जी आदेश है। गालियां देते हुए डांट कर भगा दिया। तत्कालीन सीओ व एसडीएम को डिक्री दिखाया लेकिन आरोपियों के दबाव में कोई कार्रवाई अधिकारियों ने नहीं किया। वादी की डिक्री व वकालतनामा फाड़कर फेंक दिए, गालियां व धमकी दिए।कोर्ट के लिए अपशब्दों का प्रयोग किए। विपक्षी को वादी की आराजी पर निर्माण करवा दिए। अधिकारियों ने अपने पदीय कर्तव्यों का खुला उल्लंघन किया। जान से मारने की धमकी दी। पुलिस अधीक्षक को दरखास्त देने के बावजूद कोई सुनवाई नहीं हुई तब वादी ने कोर्ट में न्याय की गुहार लगाया।


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