चार माह बाद भी जर्जर 415 विद्यालयों का नहीं हो सका मूल्यांकन
प्रशासनिक उदासीनता के चलते जनपद के 415 जर्जर परिषदीय विद्यालयों के भवनों का चार माह बाद भी तकनीकी मूल्यांकन नहीं हो सका।
जागरण संवाददाता, जौनपुर: प्रशासनिक उदासीनता के चलते जनपद के 415 जर्जर परिषदीय विद्यालयों के भवनों का चार माह बाद भी तकनीकी मूल्यांकन नहीं हो सका। शासन से इन भवनों का तकनीकी मूल्यांकन कर जमींदोज करने का आदेश है। मुख्य विकास अधिकारी ने इसके लिए टीम गठित कर जिम्मेदारी भी सौंपी है। चार माह पहले नामित अधिकारियों ने अभी तक तकनीकी मूल्यांकन की प्रक्रिया पूर्ण नहीं की है। समय रहते ध्यान नहीं दिया गया तो यहां भी गाजियाबाद की घटना की पुनरावृत्ति हो सकती है।
महानिदेशक (स्कूल शिक्षा) विजय किरन आनंद ने दस सितंबर 2020 को सभी जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों को पत्र लिखकर विद्यालय परिसर के जीर्ण-शीर्ण भवनों का तकनीकी मूल्यांकन कर ध्वस्त करने का आदेश दिया था। इसी क्रम में मुख्य विकास अधिकारी ने 18 सितंबर को ब्लाक स्तर पर चार सदस्यीय टीमें गठित करके तकनीकी मूल्यांकन कर एक सप्ताह में रिपोर्ट मांगी थी, ताकि इन जर्जर भवनों को ध्वस्त किया जा सके। उदासीनता का आलम यह है कि निर्धारित तिथि बीतने के कई माह बाद भी यह कार्य पूर्ण नहीं हो पाया है। विभाग के आंकड़े पर गौर करें तो मुफ्तीगंज, धर्मापुर, बदलापुर, महराजगंज, जलालपुर, शाहगंज, रामनगर, सुईंथाकला विकास खंडों में एक भी विद्यालय के भवनों का मूल्यांकन टीमों द्वारा नहीं किया गया। समय रहते ध्यान नहीं दिया गया तो जर्जर भवनों के गिरने से बड़ी घटना हो सकती है। वर्जन--
जनपद के 415 जर्जर भवनों में अभी तक 215 का ही मूल्यांकन हो पाया है। जर्जर भवनों के तकनीकी मूल्यांकन के लिए नामित अधिकारियों को कई बार पत्र लिखा गया, लेकिन ध्यान नहीं दिया जा रहा है। तकनीकी मूल्यांकन की प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद जर्जर भवनों को गिराया जाएगा।
-प्रवीन कुमार त्रिपाठी, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी।