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2109 किसानों का 103 करोड़ रुपये मुआवजा बाकी

लखनऊ-वाराणसी राष्ट्रीय राजमार्ग पर फोर लेन और बाईपास बनाने की प्रक्रिया वर्ष 2012 से चल रही है। सात साल बीत गए लेकिन अभी तक जहां निर्माण अधूरा है वहीं जिले के 2109 किसानों का 103 करोड़ रुपये मुआवजा देना बाकी है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 06 Mar 2019 10:00 PM (IST)Updated: Wed, 06 Mar 2019 10:00 PM (IST)
2109 किसानों का 103 करोड़ रुपये मुआवजा बाकी
2109 किसानों का 103 करोड़ रुपये मुआवजा बाकी

जागरण संवाददाता जौनपुर : लखनऊ-वाराणसी राष्ट्रीय राजमार्ग पर फोर लेन और बाईपास बनाने की प्रक्रिया वर्ष 2012 से चल रही है। सात साल बीत गए लेकिन अभी तक जहां निर्माण अधूरा है वहीं जिले के 2109 किसानों का 103 करोड़ रुपये मुआवजा देना बाकी है। भुगतान के लिए वह न्यायालय व विभाग का चक्कर काट रहे हैं। किसानों में भूमि के मालिकान को लेकर अधिकतर मामला कोर्ट पहुंच गया है जहां स्थिति स्पष्ट नहीं हो पा रही है।

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जिले में वाराणसी-लखनऊ राष्ट्रीय राजमार्ग-56 सिगरामऊ के पास शुरू होकर जलालपुर के त्रिलोचन सीमा पर समाप्त होता है। इसकी कुल लंबाई 69 किमी है। फोरलेन निर्माण के लिए वर्ष 2012 में गजट प्रकाशित किया गया। इसके बाद भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू की गई। यहां कुल 22 हजार 368 किसानों को मुआवजा देने के लिए दस अरब 51 करोड़ रुपये राजस्व विभाग को प्राप्त हुआ। अधिग्रहण में 274 हेक्टेयर भूमि ली जानी है। इसमें 20 हजार 259 किसानों में 948 करोड़ रुपये का वितरण किया जा चुका है। वहीं दो हजार 109 किसानों में 103 करोड़ रुपये बांटना अभी बाकी है। बचे किसानों के मुआवजे में क्या है गतिरोध :-

इसमें अधिकतर मामले न्यायालय में लंबित है। जिनको किसानों मुआवजा मिलना है उनके जमीन पर भाईयों व रिश्तेदारों के मध्य आपसी हिस्से को लेकर विवाद चल रहा है। कुछ तो ऐसा मामला है जहां समझौते के तहत एक भाई सड़क के किनारे वाली भूमि पर खेती कर रहा है तो दूसरा भाई पीछे की जमीन पर खेती कर रहा है। इससे अगले हिस्से पर खेती करने वाला वह भाई उसको अपनी जमीन बताकर मुआवजा मांग रहा है जबकि भूमि पर पिता का नाम अंकित है। ऐसे में दोनो भाई उसपर अपना हक जता रहे है। ताकि मुआवजा उन्हें प्राप्त हो सके। इस वजह से भी इनको मुआवजा नहीं दिया जा रहा है। इन सभी किसानों को राजस्व विभाग की तरफ से नोटिस दे दी गई है, वह 60 दिन के अंदर अपना मुआवजा प्राप्त कर ले। अन्यथा उनकी भूमि पर सरकारी अधिकार होगा। इन सब पेंच के चलते फोरलेन निर्माण अपने निर्धारित समय पर नहीं तैयार हो सका। इसका वर्ष 2018 से पहले लोकार्पण हो जाना चाहिए था। बावजूद समय-समय पर तमाम अड़गेंबाजी ने विकास को रोक रखा। क्या बोले जिम्मेदार :-

इस बाबत सीआरओ रामआसरे सिंह ने कहा कि बचे हुए किसानों का मामला कोर्ट में है। आपसी विवाद के कारण मुआवजा नहीं दिया गया है। भूमि पर सरकारी अधिकार हो गया है। निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया है।


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