फोरलेन के निर्माण में 150 किसानों का अड़ंगा
वाराणसी-लखनऊ राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण में जिले के 150 किसानों का अड़ंगा है। कही कोर्ट तो कही भूमि विवाद की वजह से देरी हो रही है। कई किसानों के न्यायालय की शरण में जाने के चलते उनकी अधिग्रहित की गई जमीन पर चौड़ीकरण का कार्य नहीं हो पा रहा है। नतीजतन निर्धारित तिथि बीत गई और जिले में 40 प्रतिशत ही निर्माण पूरा हो सका। अभी तक 100 करोड़ रुपये की धनराशि नहीं बट सकी। अधूरी सड़क से राहगीरों को आवागमन में फजीहत झेलनी पड़ रही है।
जागरण संवाददाता जौनपुर : वाराणसी-लखनऊ राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण में जिले के 150 किसान अड़ंगा बने हुए हैं। कहीं कोर्ट तो कही भूमि विवाद की वजह से देरी हो रही है। कई किसानों के न्यायालय की शरण में जाने के चलते उनकी अधिग्रहित की गई जमीन पर चौड़ीकरण का कार्य नहीं हो पा रहा है। नतीजतन निर्धारित तिथि बीत गई और जिले में 40 प्रतिशत ही निर्माण पूरा हो सका। अभी तक 100 करोड़ रुपये की धनराशि नहीं बंट सकी। इस तरह जनपदवासियों का सरपट सफर का यह ख्वाब अभी अधूरा है।
जनपद में फोरलेन निर्माण का काम वर्ष 2014-15 से हो रहा है। इसकी सीमा ¨सगरामऊ के हरिहरपुर से लेकर त्रिलोचन के लहंगपुर तक करीब 75 किमी है। कार्यदायी संस्था राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण है। फोरलेन के तहत सड़कों को 14 मीटर चौड़ा किया जाना है। निर्धारित समय नवंबर 2018 तक कार्य पूरा हो जाना चाहिए था, जो चार सालों में नहीं हो सका। कारण अभी तक जनपद के 150 किसानों का 100 करोड़ रुपये का मुआवजा नहीं बांटा जा सका। यह कार्य जलालपुर, इजरी, सिरकोनी, जफराबाद, लखौवा, चकपटेला आदि क्षेत्रों में कहीं भूमि तो कहीं मुआवजा को लेकर रुका है। ¨सगरामऊ के बछुआर, रजनीपुर ब्रिज, साढापुर-गोनौली मार्ग, तुरकौली, ¨सगरामऊ के पास लखनऊ-वाराणसी फोरलेन का काम अधूरा पड़ा है। सबसे कम काम सीमा केवटली, बछुआर से रजनीपुर गांव में हुआ है। भूमि विवाद के मामले को लेकर रेहटी व बीबनमऊ में फोर्स की उपस्थिति में कार्य पूरा कराया गया। एनएचआइ के अधिकारियों की माने तो प्रशासन मुआवजा देकर भूमि समय से उपलब्ध करा दिया होता तो काम समय से पूरा हो जाता। किसानों के भूमि न देने व अन्य अड़ंगेबाजी के कारण निर्माण धीमी गति से हो रहा है। इनसेट :-
वाराणसी-लखनऊ फोरलेन निर्माण 30 नवंबर तक पूरा करने की निर्धारित तिथि थी। 150 किसानों के करीब 100 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया जाना अभी भी बाकी है। इसमें कही भूमि विवाद तो कही कोर्ट का मामला है। प्रशासन से अगर भूमि उपलब्ध करा दी जाती है तो काम कब का पूरा हो जाता।
एसबी ¨सह-परियोजना निदेशक-एचएचआइ