2 मंदिर, 7 मजार और 14 साल का इंतजार, आखिर भाईचारे से लगी इस हाईवे की 'नैया पार'
पूरे 14 साल के बाद आखिरकार कालपी में झांसी-कानपुर हाईवे के फोरलेन बनने का रास्ता शनिवार को साफ हो गया। मंदिर-मस्जिद हटाया गया।
जालौन (जेएनएन)। 14 साल के बाद आखिरकार कालपी में झांसी-कानपुर हाईवे के फोरलेन बनने का रास्ता शनिवार को साफ हो गया। हाईवे के दोनों किनारे पर मंदिर और मस्जिद को आपसी सहमति के बाद प्रशासन ने विस्थापित कर दिया। कड़ी सुरक्षा के बीच चलाए गए अभियान के दौरान हाईवे पर वाहनों का आवागमन रोक दिया गया था। चप्पे चप्पे पर फोर्स तैनात रहा है। यहां तक कि स्कूल, कालेज, बाजार बंद रखे गए। सांप्रदायिक तनाव फैलाने की कोशिश न हो, इसके लिए सोशल मीडिया पर भी नजर रखी गई।
आपरेशन सहयोग पूर्ण
इस अभियान को आपरेशन सहयोग का नाम दिया गया था। अपर जिलाधिकारी व अपर पुलिस अधीक्षक के नेतृत्व में सुबह से पुलिस, पीएसी व आरएएफ के फोर्स की मौजूदगी मे धार्मिक स्थल हटाने का काम शुरू हुआ। दुर्गा मंदिर में पुजारी ने पूजा-अर्चना की, देवी को प्रसाद चढ़ाया। इसके बाद एडीएम प्रमिलकुमार सिंह की मौजूदगी में सर्व प्रथम इस मंदिर का ढांचा गिराया गया। मंदिर की मूर्ति छोड़ दी गई, जिसे कहीं और शिफ्ट किया जाएगा। यहां के बाद फुलपावर चौराहे पर तकी मस्जिद को भी गिरा दिया। मजार का मुख्य चबूतरा नहीं तोड़ा गया। इस दौरान किसी को भी नहीं आने दिया जा रहा था।
यह है मामला
नगर में डेढ़ किलोमीटर हाईवे वर्षों से अधूरा पड़ा है। वर्ष 2008-2009 में हाईवे प्राधिकरण ने निर्माण के लिए ध्वस्तीकरण किया गया तो कुछ लोगों ने हाईकोर्ट में रिट दायर कर दी। इसके बाद सड़क के दोनों तरफ भवनों को तोडऩे का काम रोक दिया गया। बीच में मंदिर व मजार भी आ रहे थे। पिछले वर्ष न्यायालय ने मामले से स्टे हटाकर मामला निस्तारित करने के निर्देश दिए थे। इसके बाद प्रशासन ने लोगों के साथ बैठकर समस्या का समाधान करने की रूपरेखा बनाई। सौहार्द के माहौल को बनाए रखने के लिए हिंदू और मुस्लिम वर्ग धार्मिक स्थलों को विस्थापित करने पर सहमत हो गए।
छावनी में तब्दील रहा कालपी
माहौल न बिगड़े, इसके लिए पूरी तैयारी की गई थी। जालौन के अलावा ललितपुर, झांसी, बांदा, महोबा, औरैया, कानपुर, कानपुर देहात आदि जिलों का पुलिस बल व दो सेक्शन पीएसी व आरएएफ को शांति व्यवस्था के लिए लगाया गया। आपरेशन सहयोग की कमान एडीएम प्रमिल कुमार ङ्क्षसह व एएसपी सुरेंद्रनाथ तिवारी ने संभाली। सभी मार्गों को सील कर दिया गया था।