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काया जर्जर पर मतदान का हौसला बरकरार

विजेन्द्र सिंह महेबा (जालौन) भले ही काया जर्जर हो चुकी है पर जब मतदान की बात हो तो 107 साल

By JagranEdited By: Published: Mon, 25 Mar 2019 11:24 PM (IST)Updated: Mon, 25 Mar 2019 11:24 PM (IST)
काया जर्जर पर मतदान का हौसला बरकरार
काया जर्जर पर मतदान का हौसला बरकरार

विजेन्द्र सिंह, महेबा (जालौन):

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भले ही काया जर्जर हो चुकी है, पर जब मतदान की बात हो तो 107 साल की राधा देवी का उत्साह उफान मारने लगता है। लड़खड़ाती आवाज में बोलीं, आजादी के पहले जब मतदाता बनीं तो प्रधानी के चुनाव में हाथ उठाकर मतदान किया था। देश स्वतंत्र होने पर मतपत्र पर मुहर लगनी शुरू हो गई। हालांकि उस समय वोट का इतना महत्व नहीं मालूम था। पति देवीदयाल निषाद जहां बताते वहीं मुहर लगा देते। ऐसा कभी नहीं हुआ, जब मतदान से मुंह मोड़ा हो, हर बार वोट डालने गई।

तमाम लोग मतदान को बोझ की तरह समझ लेते हैं और वोट डालने नहीं जाते हैं। स्वस्थ लोकतंत्र के लिए यह उचित नहीं है। महेबा विकास खंड के दहेलखंड की वयोवृद्ध राधा देवी उनके लिए नजीर हैं। अंग्रेजों की गुलामी के दौर से शुरू हुए मतदान के सिलसिले को अभी तक कायम किए हैं। उम्र के इस पड़ाव पर परिवार के बच्चों के साथ वोट डालने जरूर जाती हैं। कहती हैं कि इस बार भी परिवार के साथ वोट देने जरूर जाएंगी। उनका कहना है कि कभी आलस्य नहीं किया। एक मत की कीमत बहुत होती है।

बोलीं, मतदान के दो-चार दिन पहले कार्यकर्ता रिझाने आते हैं। बड़ी खुशामद होती रही। वाहन से मतदान केंद्र तक ले जाते हैं, पर बाद में भूल जाते हैं। अब तो मशीन की बटन दबाने से वोट पड़ने लगा है। अब इतना जरूर है कि अपनी मर्जी से वोट डालती हूं। चुनावी वादे पूरे नहीं होने की कसक भी है। कहती हैं कि गांव में विकास के नाम पर बिजली, सड़क और जूनियर हाईस्कूल के अलावा कुछ नहीं है।


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