जिले के 159 परिषदीय विद्यालयों में हादसे की काली छाया
तस्वीर एक कन्या जूनियर हाईस्कूल बबीना की हालत खराब है। लेंटर बुरी तरह से क्षतिग्रस्त ह
तस्वीर एक :
कन्या जूनियर हाईस्कूल बबीना की हालत खराब है। लेंटर बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुका है। प्लास्टर उखड़कर गिरता है। जिससे कभी भी हादसा हो सकता है। इसमें बीस छात्राएं पंजीकृत हैं। शिक्षक भी स्कूल के अंदर बैठने से कतराते हैं। मजबूरी में स्कूल परिसर के बाहर बैठाकर पढ़ाना पढ़ता है। प्रधानाध्यापक कौशल कुमार का कहना है कि सूची में स्कूल का नाम गया है। फिलहाल समस्या का सामना कर रहे हैं।
तस्वीर दो :
शहर स्थित मोहल्ला उमरारखेरा में उच्च प्राथमिक विद्यालय का भवन भी बेहद जर्जर हालत में है। इस विद्यालय की बाउंड्री भी धराशाही हो गई थी। इस स्कूल में छात्रों को नहीं बैठाया जाता है। बगल के स्कूल में छात्र बरामदे में पढ़ते हैं। इसके अलावा आंगनबाड़ी केंद्र भवन के बरामदे का प्रयोग भी शिक्षक कर लेते हैं। इसमें लगभग 60 बच्चे पंजीकृत हैं। विद्यालय के कमरे कभी भी भरभराकर गिर सकते हैं। तस्वीर तीन :
कन्या प्राथमिक विद्यालय माधौगढ़ का हाल भी खराब है। कई स्थानों पर स्कूल भवन चटका हुआ है। दरारें पड़ गई हैं। बारिश में पानी टपकता रहता है। विद्यालय का स्टाफ कमरों के स्थान पर बच्चों को बरामदे या फिर पेड़ के नीचे बैठाकर पढ़ाने में गनीमत समझते हैं। पता नहीं कब स्कूल भवन धराशाही हो जाए। इसमें लगभग 35 बच्चे पंजीकृत हैं। हालांकि स्कूल का नाम जर्जर भवनों की सूची में शामिल किया गया है।
तस्वीर चार :
पूर्व माध्यमिक विद्यालय खड़गुई मुस्तकिल की स्थिति भी कमोबेश अन्य विद्यालयों की तरह ही है। स्कूल भवन जर्जर हो चुका है जिसके स्थान पर नया भवन बनाए जाने की दरकार है। बच्चे अपनी जान हथेली पर रखकर पढ़ने के लिए मजबूर हैं। स्कूल के शिक्षक चाहकर भी कुछ नहीं कर सकते हैं। फिलहाल यह समस्या बनी हूुई है। हालांकि विभाग ने कार्रवाई शुरू कर दी है लेकिन जांच के लिए बनाई गई कमेटी की सुस्ती से रिपोर्ट नहीं मिल पाई है।
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जिले में कुल विद्यालय : 1797
प्राथमिक विद्यालय : 1244
उच्च प्राथमिक विद्यालय : 553
ब्लाकवार जर्जर स्कूल भवन : 159
ब्लाक संख्या
महेवा 10
रामपुरा 17
माधौगढ़ 11
कुठौंद 21
डकोर 31
कदौरा 29
नदीगांव 34
कोंच 06
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धनंजय त्रिवेदी, उरई : जिले के तमाम विद्यालय भवन जर्जर हालत में पहुंच चुके हैं। इन्हीं खस्ताहाल भवनों में नौनिहाल बैठकर शिक्षा ग्रहण करते हैं। उनकी जान हमेशा सांसत में रहती है। पता नहीं कब कोई बड़ा हादसा हो जाए। हालांकि इन दिनो कोरोना काल में बच्चे स्कूल नहीं जा रहे हैं लेकिन विद्यालयों में शिक्षक और अन्य स्टॉफ तो पहुंच ही रहा है। पहले तो विभाग ने रुचि नहीं दिखाई लेकिन इस समस्या की तरफ अब ध्यान गया है। जिसके चलते विभाग ने ब्लाकवार जर्जर स्कूल भवनों की सूची तैयार करवाई है। हालांकि मॉनीटरिग कमेटी की रिपोर्ट न आने से अभी इनका ध्वस्तीकरण नहीं कराया गया है।
जिले में बहुत से स्कूल भवन काफी पुराने हो चुके हैं। जिससे उनकी काया बदहाल हो चुकी है। किसी का प्लास्टर उखड़कर गिरता है तो किसी की दीवारें दरकी हुई हैं। जिसके चलते स्कूल का स्टॉफ भी स्कूलों में अंदर बैठने से घबराता है। पता नहीं कब कोई बड़ा हादसा हो जाए। यह स्थिति कई वर्षों से है। मजबूरी में शिक्षक बच्चों को स्कूल परिसर में लगे पेड़ों या फिर बरामदे में बैठाकर पढ़ाते हैं। शासन ने इस स्थिति को संज्ञान में लिया है। अपर मुख्य सचिव रेणुका कुमार ने जनवरी 2020 में इस संबंध में निर्देश भी दिए थे जिसके बाद जर्जर विद्यालय भवन तो चिन्हित करा लिए गए लेकिन अभी आगे की कार्रवाई बाधित है।
शासन के निर्देशों के कुछ बिदु :
- स्कूल भवन की आयु पूर्ण होने, छत, लेंटर आदि कमजोर होने के साथ असुरक्षित हो उनको सूची में लिया जाएगा।
- जर्जर विद्यालयों के ध्वस्तीकरण की संस्तुति के लिए डीएम के द्वारा एक तकनीकी समिति का गठन किया जाएगा। जिसमें सहायक अभियंता ग्रामीण अभियंत्रण सेवा, सहायक अभियंता लघु सिचाई सदस्य होंगे।
- ध्वस्तीकरण योग्य चिन्हित भवनों की सूची तैयार कर बेसिक शिक्षा विभाग समस्त विवरण, भवन के निर्माण का वर्ष, लागत, बुक वैल्यू, निर्माण प्रभारी व बीइओ का नाम उपलब्ध कराएगा।
- समिति जर्जर स्कूलों का मूुल्यांकन कर अपनी रिपोर्ट जिलाधिकारी को देंगी।
- ऐसे स्कूल जिनकी आयु पूर्ण हो चुकी है और बुक वैल्यू व अभिलेख नहीं हैं। कंप्यूटेड वैल्यू पांच लाख रुपये तक है। उसको ध्वस्त कराने का निर्णय जिलाधिकारी लेंगे।
- ऐसे विद्यालय जिनकी आयु पूर्ण हो चुकी है और अभिलेख नहीं है। क्प्यूटेड वैल्यू दस लाख है तो उसके लिए बेसिक शिक्षा निदेशक से अनुमति लेना अनिवार्य है। इस तरह के दस बिदु दिए गए हैं।
जर्जर स्कूल भवनों को चिन्हित किया गया है। कमेटी को सूची भी उपलब्ध कराई जा चुकी है। कोरोना संक्रमण की वजह से काम धीमा हो गया। जल्दी ही मूल्यांकन रिपोर्ट कमेटी जिलाधिकारी को सौंप देगी। हालांकि तेजी दिखाई गई होती तो काम पूर्ण हो चुका होता। कार्रवाई भी बढ़ गई होती।
- प्रेमचंद यादव, बीएसए