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त्योहार पर सेहत खराब कर सकता मिलावटी खोवा

संस,कालपी : त्योहार कोई भी हो, मिलावट का कारोबार तेज हो जाता है। पर्व पर मांग के अनुरूप

By JagranEdited By: Published: Tue, 30 Oct 2018 10:04 PM (IST)Updated: Tue, 30 Oct 2018 10:04 PM (IST)
त्योहार पर सेहत खराब कर सकता मिलावटी खोवा
त्योहार पर सेहत खराब कर सकता मिलावटी खोवा

संस,कालपी : त्योहार कोई भी हो, मिलावट का कारोबार तेज हो जाता है। पर्व पर मांग के अनुरूप चीजों में मिलावट की जाती है। दीपावली पर्व पर खोवा की मांग चरम पर है। जिससे ¨सथेटिक खोवा बनाने वाले सक्रिय हो गए हैं। प्रतिदिन बड़ी मात्रा में खुलेआम इसका निर्माण किया जा रहा है। ऐसे में सतर्कता नहीं बरती गई तो मिलावटी खोवा आपकी सेहत खराब कर सकता है। थोड़ी सी सावधानी से इससे बचा जा सकता है। आलम यह है कि नामी दुकानों तक में ऐसे खोवा की धड़ल्ले से सप्लाई की जा रही है। उसके बावजूद जिम्मेदार कान में तेल डालकर बैठे हैं। आढ़त से बाजार होते हुए यह लोगों के घरों तक पहुंच रहा है।

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सामान्य दिनों में जहां कालपी में पांच से 10 ¨क्वटल खोवा की खपत रोजाना होती है। वहीं दीवाली पर त्योहार से पहले ही यह मांग प्रतिदिन 20 से 30 ¨क्वटल तक पहुंच जाती है। ऐसे में शुद्ध खोवा की पूर्ति होना नामुमकिन है।

बताते हैं कि देवीपुर, भगौरा, काशीरामपुर आदि तमाम गांवों में खोवा बनाया जाता है लेकिन मांग अधिक होने पर मिलावटी खोवा का भी निर्माण नगर व ग्रामीण अंचलों में होने लगा है जिसमें अधिकांश मात्रा नकली की होती है।

ऐसे होता है तैयार

जानकार बताते हैं कि मिलावटी और ¨सथेटिक खोवा बनाने के लिए पहले दूध से क्रीम निकाल ली जाती है। सपरेटा दूध में यूरिया, दूध पाउडर और घटिया क्वालिटी का रिफाइंड या वनस्पति घी मिलाया जाता है। तैयार घोल को उबालकर हूबहू असली खोवा तैयार कर लिया जाता है। इसमें मीठापन और चिकनाई बढ़ाने के लिए चीनी व रिफाइंड तेल मिला दिया जाता है। इसके अलावा शुद्ध खोवा में मिलावट के लिए शकरकंदी, ¨सघाड़े का आटा, आलू और मैदा का इस्तेमाल किया जाता है। वजन बढ़ाने के लिए खोवा में आटा भी मिलाया जाता है।

आसपास से आते हैं खरीदार

नगर में रोजाना सुबह लगने वाली खोया मंडी काफी बड़ी मंडी है। जिसमें पुखरांया, भोगनीपुर, नवीपुर, चौरा, राजपुर, आटा व कानपुर नगर तक के व्यापारी यहां खोवा खरीदने प्रतिदिन आते हैं।

पनीर भी नहीं भरोसेमंद

त्योहार के दिनों में खोवा में तो मिलावट का जहर घुला ही है। पनीर भी इससे अछूता नहीं रहता है। त्योहार पर घर-घर मटर-पनीर, शाही पनीर, कढ़ाही पनीर, पुलाव आदि बनना आम बात है। ऐसे में सामान्य दिनों के मुकाबले पनीर की मांग काफी बढ़ जाती है। जबकि त्योहार के मौसम में पहले ही दूध की किल्लत होती है। ऐसे में पनीर बनाने में भी बड़े स्तर पर गड़बड़ी होती है।

ऐसे करें पहचान

हथेली पर खोवा की गोली बनाएं। अगर यह फटने लग जाए तो समझिए मावा नकली है। खोवा को गरम पानी में घोल लें और इसे ठंडा होने दें। फिर इसमें आयोडीन सोलूशन डालें। खोवा नकली होगा तो इसका रंग नीला हो जाएगा। नकली खोवा चिपचिपा और चखने पर इसका स्वाद कसैला होता है। मिलावटी और ¨सथेटिक पनीर खाने में रबड़ की तरह ¨खचता है। असली पनीर सब्जी बनाने के दौरान टूटता नहीं है। जबकि मिलावटी और ¨सथेटिक पनीर बिखर जाता है।

कहते हैं चिकित्सक

डा. वीरेंद्र बताते हैं कि इनसे फूड पॉयज नग, उल्टी-दस्त, उदर संक्रमण, बदहजमी, गैस सहित त्वचा रोग भी हो सकते हैं। यही नहीं लगातार सेवन से किडनी और लिवर पर भी बुरा असर पड़ता है। ये उत्पाद कैंसर की भी वजह बन सकते हैं।

बोले जिम्मेदार

एसडीएम सुनील शुक्ला ने बताया कि खाद्य पदार्थो में मिलावट कतई बर्दाश्त नहीं की जाएगी। यह लोगों की सेहत से जुड़ा है। अभियान चलाकर मिलावटी मावा पकड़ा जाएगा।


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