झेलते हैं मरीज और तीमारदार
जासं,उरई : जिले के ग्रामीण क्षेत्रों के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र यानी पीएचसी हों या फिर सामुदायि
जासं,उरई : जिले के ग्रामीण क्षेत्रों के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र यानी पीएचसी हों या फिर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, लचर व्यवस्था का शिकार मरीज और उनके तीमारदार होते हैं। कहीं पर चिकित्सकों के समय पर न पहुंचने कहीं सेवा में हीलाहवाली की खबरें आम हैं। अपना पल्ला छुड़ाने के लिए जिला अस्पताल रेफर किया जाना आम है। मुख्यालय के अस्पताल पहुंचने पर चिकित्सकों व संसाधनों की कमी का दंश झेलना पड़ता है। कदौरा में हाल के पांच दिनों के अंदर दो ऐसी घटनाएं सामने आईं, जब अपना पल्ला झाड़ने की कोशिश में किसी की जान से खिलवाड़ किया गया। प्रसूता को खून की कमी बताकर रेफर कर दिया गया। एंबुलेंस चंद कदम आगे बढ़ी भी नहीं थी कि उसी में प्रसव हो गया। यहां पर आए दिन इलाज में लापरवाही बरतने के आरोप प्रकाश में आते रहते हैं। केवल एलोपैथिक ही नहीं बल्कि होम्योपैथिक चिकित्सालय का भी कुछ ऐसा ही हाल है। बात रामपुरा की हो या फिर कालपी की, कहीं पर चिकित्सक नहीं तो कहीं बीते पांच वर्षों से दवा की आपूर्ति का हो। अनदेखी मरीजों पर भारी पड़ रही है।