बंद होने की कगार पर संस्कृत विद्यालय
जागरण संवाददाता, उरई : जिले में संस्कृत विद्यालय बंद होने की कगार पर पहुंच गए हैं। लंबे समय
जागरण संवाददाता, उरई : जिले में संस्कृत विद्यालय बंद होने की कगार पर पहुंच गए हैं। लंबे समय से इन स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती नहीं हुई है। वहीं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी और लिपिक भी तैनात नहीं किए गए।
संस्कृत का अध्ययन करने के लिए विद्यालय स्थापित कराए गए थे, लेकिन इनके रखरखाव पर शासन की ओर से ध्यान नहीं दिया गया। न ही संसाधन उपलब्ध कराए गए। इसी का परिणाम है कि लंबे समय से संस्कृत विद्यालय उपेक्षा का शिकार हैं। ऐसा ही एक आदर्श संस्कृत महाविद्यालय है। इसमें तकरीबन ढाई सैकड़ा छात्र अध्ययनरत हैं। कहने को तो यहां पांच शिक्षक होने चाहिए लेकिन तैनाती सिर्फ तीन की है। अन्य स्टाफ भी नहीं है। कुछ ऐसा ही हाल संस्कृत विद्यालय कुठौंद का है। माध्यमिक तक यह विद्यालय अब लगभग बंद हो चुका है। इसमें संविदा पर दो शिक्षक काम कर रहे हैं। कोंच स्थित संस्कृत विद्यालय का भी हाल भी बेहाल है। इस संबंध में आदर्श संस्कृत महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. जग प्रसाद चतुर्वेदी का कहना है कि शिक्षक और स्टाफ की कमी को पूरा किया जाए तो इन विद्यालयों की स्थिति को संवारा जा सकता है। सहायता प्राप्त संस्कृत विद्यालयों के लिए सिर्फ वेतन की ग्रांट आती है। इसके अतिरिक्त अन्य कोई सहायता नहीं मिलती। जहां शिक्षकों का अभाव है वहां पर सेवानिवृत्त शिक्षकों की तैनाती की जा रही है। -भगवत पटेल, डीआइओएस।