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जिला अस्पताल में निजी एंबुलेंस संचालकों का बोलबाला

जागरण संवाददाता, उरई: जिला अस्पताल परिसर में प्राइवेट एंबुलेंस संचालकों ने कब्जा सा कर लिया

By JagranEdited By: Published: Sun, 20 Jan 2019 11:35 PM (IST)Updated: Sun, 20 Jan 2019 11:35 PM (IST)
जिला अस्पताल में निजी एंबुलेंस संचालकों का बोलबाला
जिला अस्पताल में निजी एंबुलेंस संचालकों का बोलबाला

जागरण संवाददाता, उरई: जिला अस्पताल परिसर में प्राइवेट एंबुलेंस संचालकों ने कब्जा सा कर लिया है। मरीजों व उनके तीमारदारों को निजी अस्पताल में ले जाने के लिए प्रेरित करते हैं जहां उन्हें मोटा कमीशन मिलता है।

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नियमानुसार जिला अस्पताल के परिसर में केवल सरकारी और 108 एंबुलेंस ही खड़ी रह सकती हैं। निजी एंबुलेंस को अस्पताल परिसर के अंदर अपने वाहन खड़े करने और मरीजों को ढूंढने की इजाजत नहीं है। लेकिन काफी समय से यहां निजी एम्बुलेंस वाले सक्रिय हैं। हालत यह है कि जैसे ही कोई गंभीर मरीज इमरजेंसी व ट्रामा सेंटर में पहुंचता उसके साथ आए लोगों को एंबुलेंस संचालक घेर लेते हैं। रेफर मरीज को कम किराये में ले जाने का लालच देकर झांसी व कानपुर में उन अस्पतालों में पहुंचा देते हैं जहां उनका कमीशन तय है।

अस्पताल के ही कुछ कर्मचारी भी इन एंबुलेंस संचालकों से मिले हैं वे मरीज के परिजनों को समझा बुझाकर उन्हें प्राइवेट एंबुलेंस संचालकों के हवाले कर देते हैं। हालत यह है कि अस्पताल के मुख्य गेट के लेकर परिसर में जर्जर चार पहिया वाहन खड़े रहते हैं। गंभीर बात तो यह है कि मरीजों ले जाने वाली ज्यादातर निजी एंबुलेंस में जरूरी सुविधाएं नहीं हैं। न तो लाइफ सपोर्ट सिस्टम है और न ही पैरामेडिकल स्टाफ की सुविधा है जिसकी वजह से मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। एक ओर शासन जहां लाइफ सपोर्ट सिस्टम वाली बड़ी एंबुलेंस सेवा संचालित कर रही है तो वहीं निजी एंबुलेंस वाले ज्यादातर ओमनी वैन जैसी छोटी गाड़ियों के माध्यम से एंबुलेंस सेवा प्रदान कर रहे हैं। इसी के चलते इन वाहनों में जाने वाले मरीजों की कई बार मौत तक हो जाती है। इसके बावजूद प्रशासन इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है। बोले जिम्मेदार

सीओ सिटी संतोष कुमार का कहना है कि अभियान चलाकर अवैध वाहन संचालकों के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।


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