Move to Jagran APP

टीबी की जांच के लिए भटकते रहते मरीज

जागरण संवाददाता उरई महेवा विकासखंड स्थित पीएचसी बाबई ऐसा अस्पताल है जहां से 93 राजस्व गांव की स्वास्थ्य सुविधाओं का संचालन किया जाता है। संसाधन व डॉक्टरों की कमी के कारण टीबी के मरीजों को भारी परेशानी उठानी पड़ रही है जबकि सरकार टीबी को 2025 तक मुक्त बनाना चाहती है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 19 Jun 2021 05:11 PM (IST)Updated: Sat, 19 Jun 2021 05:11 PM (IST)
टीबी की जांच के लिए भटकते रहते मरीज
टीबी की जांच के लिए भटकते रहते मरीज

जागरण संवाददाता, उरई : महेवा विकासखंड स्थित पीएचसी बाबई ऐसा अस्पताल है, जहां से 93 राजस्व गांव की स्वास्थ्य सुविधाओं का संचालन किया जाता है। संसाधन व डॉक्टरों की कमी के कारण टीबी के मरीजों को भारी परेशानी उठानी पड़ रही है, जबकि सरकार टीबी को 2025 तक मुक्त बनाना चाहती है।

loksabha election banner

अस्पताल में केवल तीन डॉक्टरों की नियुक्ति है। सर्जन, हड्डी रोग विशेषज्ञ व फिजीशियन की नियुक्ति न होने की वजह से मरीजों को तुरंत रेफर कर दिया जाता है। टीवी के मरीज के लिए डिजिटल एक्स-रे मशीन भी इस अस्पताल में स्थापित नहीं हुई है। जिसकी वजह से टीवी के मरीजों को जांच के लिए जिला मुख्यालय जाना पड़ता है। चार दशक पहले बाबई में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की स्थापना

चार दशक पहले बाबई में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की स्थापना की गई थी, जो पहले ब्लॉक महेवा कि पीएचसी के नाम से संचालित थी। यहां पर बीहड़ क्षेत्र के 93 राजस्व गांव के मरीज इलाज कराने के लिए आते है। जिला क्षेत्र में बने जच्चा-बच्चा केंद्र, नए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सभी इस अस्पताल के अधीन है। प्रभारी चिकित्सा अधिकारी वीर प्रताप ने बताया कि छह डाक्टरों की जगह तीन डाक्टर नियुक्त हैं, जिसमें गौरव शर्मा एवं तीसरे आयुष चिकित्सक विनोद संविदा पर नियुक्त हैं। नर्स रश्मि, प्रीति, अर्चना व फार्मासिस्ट अरुण यादव एवं संदीप की नियुक्ति की गई है। खून की जांच के अलावा कोई सुविधा नहीं

इस अस्पताल में खून की जांच के अलावा संसाधनों की कमी के कारण अन्य कोई सुविधा नहीं है, इसलिए यहां केवल सर्दी जुकाम बुखार के ही मरीज आते हैं। नहीं मिलती इमरजेंसी सेवाएं

डाक्टरों एवं तकनीकी उपकरणों की कमी होने की वजह से इमरजेंसी सुविधाएं इस अस्पताल में नहीं मिलती है, मरीज आते ही उरई रेफर कर दिया जाता है।

शिवम गौर नहीं होते ऑपरेशन

अस्पताल में सर्जन डॉक्टर की नियुक्ति न होने की वजह से कभी ऑपरेशन नहीं हुए। ऑपरेशन थिएटर में 40 साल बाद भी समुचित सुविधाएं नहीं जुट पाई हैं। जिससे यह अस्पताल केवल दवाखाना बनकर रह गया है।

वसीम, ग्रामीण महिला चिकित्सक की भी नहीं हुई नियुक्ति

अस्पताल में महिला चिकित्सक की नियुक्ति न होने की वजह से महिलाओं के गंभीर रोगों के इलाज नहीं हो पाते हैं, प्रसव के समय अगर किसी महिला को परेशानी हुई तो उरई रेफर कर दिया जाता है।

शिवकुमार सरकारी अभिलेखों में इस क्षेत्र का यह सबसे बड़ा अस्पताल है, लेकिन मरहम पट्टी एवं खांसी जुकाम के अलावा गंभीर रोगों का इलाज यहां नहीं हो पाता है।

नईम वाबई कोट

जिले की बाबई पीएचसी को दुरुस्त कराने के लिए पूरी कोशिश की जा रही है। जिससे कोरोना की तीसरी लहर से पूर्व तैयारी पूरी हो सके।

डॉ. ऊषा सिंह, सीएमओ


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.