पुरखे झोपड़ी में रहे, अब हमारी कट रही जिंदगी
से रामपुरा ब्लाक में सात लाभार्थियों ने पैसा मिलने के बाद आवास पूर्ण नहीं कराए हैं। इनके खिलाफ भी कार्रवाई प्रस्तावित की गई है।
केस-1
खड़गुई की सरजू देवी ने बताया कि पात्र होने के बावजूद सूची में नाम नहीं है। झोपड़ी में बसर करते वर्षो गुजर गए। कई बार आवेदन किया लेकिन आवास नहीं मिला। बारिश में कच्चा घर टपकता है, साथ ही ढहने का खतरा बना रहता है। सर्दियों में सबसे अधिक परेशानी होती है लेकिन करें क्या। न अफसर सुनवाई कर रहे हैं न जनप्रतिनिधि। पता नहीं हम अधिकारियों को क्यों नहीं नजर आ रहे।
केस-2
खड़गुई की ही रहने वाली उमा देवी का कहना है कि मजदूरी करके किसी तरह से घर का खर्चा चल जाता है। पहले इंदिरा आवास के लिए आवेदन किया था वह भी नहीं मिला। जब प्रधानमंत्री आवास योजना शुरू हुई तो उसके लिए भी प्रयास किए। मगर, अभी तक आस लगाए बैठे हैं। कोई न कोई बहाना बनाकर आवेदन खारिज कर दिया जाता है। किससे अपनी पीड़ा सुनाएं, कोई सुनना ही नहीं चाहता है।
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जागरण संवाददाता, उरई : भले ही वर्ष 2011 की जनगणना के आधार पर प्रधानमंत्री आवास आवंटन का दावा किया जा रहा है, लेकिन ऐसे कई जरूरतमंद हैं जिनके पुरखे झोपड़ी में रहते रहे और अब वह झोपड़ी में जिंदगी काट रहे हैं। कड़कड़ाती सर्दी हो या बारिश का मौसम, इन गरीबों को झोपड़ी में ही रात गुजारनी पड़ रही है। पक्की छत की आस में इनकी आंखें पथरा गई हैं। इन्हें आवास न मिलने से सवाल खड़े हो रहे हैं। कैसे इनके नाम सूची में शामिल नहीं हुए, इस पर जिम्मेदार भी कुछ कहने से बच रहे हैं।
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वर्ष 2018-19 में देश में छठवें स्थान पर रहा था जिला
आवास निर्माण में वर्ष 2018-19 में जिला जालौन देश में छठवां तो प्रदेश में दूसरा स्थान पाने में कामयाब रहा। वर्ष 2018-19 में जिले को 2505 आवासों का लक्ष्य मिला था, जिसमें पात्रों को पहली, दूसरी और तीसरी किस्त जारी कर दी गई। 2499 आवास पूर्ण हो चुके हैं जबकि 20 निर्माणाधीन हैं। इसी तरह वर्ष 2019-20 में 893 आवासों का लक्ष्य मिला है। 844 पात्रों को पहली किस्त, 690 को द्वितीय व 173 को तीसरी किस्त निर्गत की जा चुकी है। कुल 173 आवास ही अब तक बन पाए हैं।
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कुछ लाभार्थी कर रहे कोताही
महेवा ब्लाक में वर्ष 2018-19 के चार लाभार्थियों ने पैसा मिलने के बाद भी आवास नहीं बनवाए हैं। इनको नोटिस जारी किए गए हैं। इसी तरह रामपुरा ब्लाक में सात लाभार्थियों ने पैसा मिलने के बाद आवास पूर्ण नहीं कराए हैं। इनके खिलाफ भी कार्रवाई की संस्तुति की गई है।
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क्या कहते हैं जिम्मेदार
वर्ष 2011 की सामाजिक आर्थिक जनगणना के आधार पर तैयार की गई सूची के पात्रों को आवास उपलब्ध कराए जा चुके हैं। अब जो जरूरतमंद सूची में शामिल नहीं हो पाए थे, उनको आवास प्लस एप से जोड़ते हुए सूची तैयार कराई जा रही है ताकि इनको भी आवास मुहैया कराया जा सके।
-प्रशांत कुमार श्रीवास्तव, मुख्य विकास अधिकारी