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ओम नम शिवाय : प्राचीन नीलकंठ भगवान का मंदिर

शहर के बीच में बसे पुराने मोहल्ले मातापुरा में स्थित है अत्यंत प्राचीन भगवान नीलकंठ का मंदिर। शहर में यह इकलौता नीलकंठ मंदिर है जहां भगवान भोलेनाथ विराजमान हैं। इस मंदिर के प्रति भक्तों में गहरी आस्था है। शिवरात्रि और सावन के महीने में इस मंदिर में तमाम भक्त दर्शन के लिए आते हैं।

By JagranEdited By: Published: Sun, 25 Jul 2021 07:32 PM (IST)Updated: Sun, 25 Jul 2021 07:32 PM (IST)
ओम नम शिवाय : प्राचीन नीलकंठ भगवान का मंदिर
ओम नम शिवाय : प्राचीन नीलकंठ भगवान का मंदिर

शहर के बीच में बसे पुराने मोहल्ले मातापुरा में स्थित है अत्यंत प्राचीन भगवान नीलकंठ का मंदिर। शहर में यह इकलौता नीलकंठ मंदिर है जहां भगवान भोलेनाथ विराजमान हैं। इस मंदिर के प्रति भक्तों में गहरी आस्था है। शिवरात्रि और सावन के महीने में इस मंदिर में तमाम भक्त दर्शन के लिए आते हैं। इतिहास

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मंदिर के बारे में किवदंती बताते हैं कि यहां पर घना जंगल था। बस्ती दूर तक नहीं थी। उस समय किसी ने यहां भगवान नीलकंठ (शिवलिग) को देखा था। इसके बाद यहां पर मठिया बना दी गई। धीरे-धीरे मंदिर का विकास होता गया और यह भक्तों की आस्था का केंद्र बन गया। बताया जाता है कि यह मंदिर अत्यंत सिद्ध है। अब जहां मंदिर है वहां पर घनी बस्ती है और तंग गलियां हैं। मंदिर की विशेषता

मंदिर साधारण प्राचीन शैली में बना हुआ है। बताया जाता है कि इस मंदिर के गुंबद पर कुछ वर्ष पहले बिजली गिरी थी लेकिन मंदिर का कुछ नहीं बिगड़ा। मंदिर के चबूतरे को लाल पत्थर से बनाया गया है। मंदिर काफी आकर्षक है। तैयारियां :

सावन को लेकर मंदिर में विशेष तैयारियां की गई हैं। मंदिर परिसर छोटा होने के नाते यहां पर अधिक भीड़ नहीं होने दी जाती है। दो चार भक्त एक बार में नीलकंठ का दर्शन करने के लिए जाते हैं। मंदिर की सजावट फूलों से की गई है। शिवरात्रि में भी यहां काफी तैयारी की जाती है। जिले में भगवान नीलकंठ का यह इकलौता मंदिर है। इस मंदिर में भगवान भोलेनाथ की विशेष कृपा है। आने वाले भक्तों को भोले भंडारी कभी निराश नहीं करते हैं। सभी की मनोकामना भगवान शिव पूरी करते हैं। लोगों के मन में मंदिर के प्रति गहरी आस्था है।

राजेश दीक्षित पुजारी सावन व शिवरात्रि में भगवान का अभिषेक प्रतिदिन किया जाता है। भक्त भी यहां पर जलाभिषेक करने के लिए आते हैं। सावन के सोमवार को प्रसाद का वितरण भी किया जाता है।

रामजानकी सहयोगी ऐसे पहुंचे मंदिर

शहर में बस या ट्रेन से पहुंच सकते हैं। रेलवे स्टेशन से मंदिर की दूरी लगभग दो किलोमीटर है। जबकि बस स्टेशन से महज एक किलोमीटर की दूरी पर मंदिर स्थित है। आटो या रिक्शे से लोग पहुंच सकते हैं।


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