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रैन बसेरों में सुविधाएं नहीं, कैसे कटेगी गरीबों की सर्दी

द्रश्य एक माधौगढ़ नगर पंचायत में बीते वर्ष तीन पहले अस्थायी रैन बसेरा खोले गए थे। इस बार नगर

By JagranEdited By: Published: Wed, 02 Dec 2020 09:24 PM (IST)Updated: Wed, 02 Dec 2020 09:24 PM (IST)
रैन बसेरों में सुविधाएं नहीं, कैसे कटेगी गरीबों की सर्दी
रैन बसेरों में सुविधाएं नहीं, कैसे कटेगी गरीबों की सर्दी

द्रश्य एक :

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माधौगढ़ नगर पंचायत में बीते वर्ष तीन पहले अस्थायी रैन बसेरा खोले गए थे। इस बार नगर पंचायत की दुकानों में एक ही रैन बसेरा अब तक खोला गया है। उसमें सुविधाओं के नाम पर न तो रजाई गद्दा है और न अन्य कोई सुविधाएं। रैन बसेरा में बोर्ड लगा हुआ है। इसमें ताला लटका रहता है। इस स्थिति में गरीबों की सर्दी कैसे दूर होगी। व्यवस्थाओं के नाम पर सिर्फ खानापूरी की जा रही है। द्रश्य दो :

शहर के जिला अस्पताल में तीमारदारों के रुकने के लिए रैन बसेरा तो बना हुआ है लेकिन इसकी हालत खराब है। देखने से यह कबाड़ खाना ही लगता है। इसे तीमारदार नहीं बल्कि एंबुलेंस चालकों के लिए आरक्षित कर दिया गया है। मरीजों के तीमारदार या तो बरामदे में अपनी रातें गुजारें या फिर किसी रिश्तेदार के यहां शरण लें। जिला अस्पताल प्रशासन का इस तरफ कोई ध्यान ही नहीं है।

द्रश्य तीन :

कालपी के राजेपुरा मोहल्ले में रैन बसेरा का निर्माण 1999 में कराया गया था। विधायक निधि से बने इस रैन बसेरा में अव्यवस्थाओं का आलम है। खिड़कियां टूटी हैं। रजाई गद्दे, शौचालय की कोई व्यवस्था नहीं है। जिससे यहां जो लोग ठहरे हुए हैं उनको भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। आखिर लोग शौच के लिए कहां जाएं। रात को टूटी खिड़कियों से सर्द हवाएं आती हैं। जिम्मेदारों का इस तरफ कोई ध्यान नहीं है। --- जागरण टीम उरई : सर्द रातों में गरीबों को खुले आसमान के नीचे रात न गुजारनी पड़े इसको लेकर शासन प्रशासन भले ही गंभीर है लेकिन निचले स्तर पर हो रही लापरवाही गरीबों को भारी पड़ रही है। जिले में तमाम ऐसे रैन बसेरा हैं जिनमें सुविधाओं के नाम पर कुछ भी नहीं है। सिर्फ खानापूरी से काम चलाया जा रहा है। इसका खामियाजा गरीब भुगत रहे हैं।

प्रत्येक वर्ष शासन से सख्त निर्देश आते हैं कि गरीबों के लिए बनवाए गए रैन बसेरों में व्यवस्थाएं चाक चौबंद रखी जाएं। जिससे कि गरीब व आने जाने वाले राहगीर रात आराम से गुजार सकें। इनमें रजाई, गद्दा आदि की व्यवस्था रहनी चाहिए। ताकि लोग परेशान न हों। अगर स्थायी रैन बसेरा न हों तो अस्थायी रैन बसेरा बनाए जाने के भी निर्देश हैं लेकिन सबकुछ खानापूरी में किया जा रहा है। कस्बों व ग्रामीण क्षेत्र में हाल बेहाल है। इस स्थिति में गरीब परेशान होते हैं। तमाम लोगों को मजबूरी में रात खुले आसमान के नीचे गुजारनी पड़ती है। इस बार भी शासन से निर्देश दिए गए हैं कि कोरोना गाइड लाइन का पालन करते हुए रैन बसेरा में व्यवस्थाएं की जाएं लेकिन कस्बों में यह नजर नहीं आता है। सुविधाओं के नाम पर रैन बसेरों में कुछ भी नहीं है।

सभी रैन बसेरा में व्यवस्थाएं चाक चौबंद करने के निर्देश दे दिए गए हैं। शहर को या फिर कस्बे हर कहीं पर व्यवस्था बेहतर होनी चाहिए। इसके बाद भी अगर कहीं से लापरवाही का समाचार मिलता है तो कड़ी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। किसी तरह की शिथिलता को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

- प्रमिल कुमार सिंह, अपर जिलाधिकारी


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