राष्ट्रीय क्षितिज पर चमक रहे जिले के नन्हे कलाम
केस एक मैं भी नन्हां कलाम प्रतियोगिता में सहभागिता कर पंद्रह सुपर छात्रों में केशव हरदैि
केस एक:
मैं भी नन्हां कलाम प्रतियोगिता में सहभागिता कर पंद्रह सुपर छात्रों में केशव हरदैनिया का नाम भी शामिल है। केशव साधारण परिवार से ताल्लुक रखते हैं। इनमें वैज्ञानिक बनने की चाहत है। जिससे इन्होंने नन्हां कलाम प्रतियोगिता में सहभागिता की थी। विज्ञान प्रदर्शनी में ऑटोमेटिक वॉल पेंटिग मशीन का मॉडल बनाकर सभी को हतप्रभ कर दिया। उन्होंने इसका श्रेय अपने शिक्षकों के साथ कौन बनेगा नन्हां कलाम प्रतियोगिता को दिया है।
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केस दो: बीते वर्ष प्रतियोगिता में सहभागिता करने वाले अब्दुल कादिर ने जिले में पहला स्थान प्राप्त किया। बेहद गरीब परिवार से आने वाले छात्र कादिर ने हौसले की उड़ान भरकर साबित किया कि प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती है। इस छात्र ने ऑनलाइन प्रतियोगिता के लिए रजिस्ट्रेशन कराया था। इन्होंने मल्टीपर्पज साइकिल का मॉडल बनाया था। जिसमें बैट्री चार्ज करने की व्यवस्था के साथ ही अच्छा व्यायाम व लाइटिग की भी सुविधा थी। उनके मॉडल को लोगों ने देखा और प्रशंसा भी की।
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केस तीन :
नन्हां कलाम प्रतियोगिता में प्रतिभाग करने वाली पिंकी व मीनू भी साधारण परिवार से हैं। किसान परिवार से होने के बाद भी इनमें कुछ कर दिखाने की ललक है। विज्ञान में इनकी रुचि देखकर शिक्षकों ने उत्साहवर्धन किया और प्रतियोगिता में सहभागिता के लिए प्रेरित किया। इन्होंने ऑटोमेटिक हाईड्रोलिक मशीन का मॉडल तैयार कर उसे विज्ञान प्रदर्शनी में रखा। दोनों छात्राओें ने प्रतिभा को निखारने का श्रेय नन्हां कलाम प्रतियोगिता को दिया। कहा कि यह प्रतियोगिता छात्र-छात्राओं में विज्ञान के प्रति अभिरुचि बढ़ाने में काफी सराहनीय प्रयास है।
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-पूरे देश में पहचान बना चुकी मैं भी हूं नन्हा कलाम प्रतियोगिता
- सर्वाधिक सफलता हासिल कर रहे जिले के बच्चे
धनंजय त्रिवेदी, उरई : एक समय था जब बुंदेलखंड शिक्षा के क्षेत्र में सबसे पिछड़ा माना जाता था। कुछ ही प्रतिभाएं अपनी मेहनत के दम पर आगे बढ़ पाती थीं। मगर अब स्थितियां भिन्न हैं। यहां भी अनेक प्रतिभाएं हौसलों की उड़ान भरकर अपनी प्रतिभा की चमक बिखेर रहीं हैं। इसका प्रमाण है राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में सर्वाधिक जालौन के नन्हें बच्चों का चयनित होना। गत वर्ष जिले के करीब 227 बच्चों ने प्रदेश स्तरीय प्रतियोगिता में भाग लिया था। जिसमें राज्य स्तर के लिए 26 छात्र-छात्राओं का चयन हुआ और दो छात्र-छात्राएं राष्ट्रीय स्तर पर होने वाली विज्ञान प्रतियोगिता में सहभागिता करने के लिए चयनित किए गए हैं। नन्हें कलाम योजना सूखे बुंदेलखंड को शैक्षिक उन्नयन की तस्वीर दिखा रही है। इसमें से प्रत्येक छात्र को दस-दस हजार रुपये का पुरस्कार मिला।
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क्या है नन्हें कलाम योजना :
पिछले साल शुरू हुई नन्हें कलाम योजना में पहली बार में ही 48750 छात्र-छात्राओं ने सहभागिता की। इस प्रतियोगिता में तीन चरण हैं। छात्रों के मॉडल बनाने व विज्ञान में रुचि बढ़ाने के लिए जिले स्तर पर चयनित प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान पाने वाले छात्र छात्राओं को 21 हजार, 5 हजार, 11 सौ रुपये पुरस्कार के रूप में दिए जाते हैं।
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कानपुर में हुई कार्यशाला : प्रथम बार तृतीय चरण की परीक्षा की कार्यशाला आइआइटी कानपुर में कराई गई। प्रतियोगिता को काफी सफलता मिली। अब इस बार लगभग एक लाख बच्चे प्रतियोगिता में शामिल कराने का लक्ष्य है। इस नवाचार को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली। यही वजह है कि प्रदेश सरकार ने जिलाधिकारी के कार्यो की प्रशंसा करते हुए इसको 15 जनपदों में लागू कराया है। डीएम व डीआइओएस को आइकान अवार्ड सहित कई राष्ट्रीय अवार्ड मिले। तृतीय चरण की परीक्षा के लिए आइआइटी कानपुर के सेवानिवृत्त प्रोफेसर एससी वर्मा व उनकी टीम ने छात्रों का मार्गदर्शन किया।
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जिले को अब तक मिले यह अवार्ड : प्रतियोगिता की पहचान राष्ट्रीय स्तर पर होने के बाद जिलाधिकारी डॉ मन्नान अख्तर व जिला विद्यालय निरीक्षक को कई अवार्ड मिले।
- यूनिक वल्ड रिकार्ड 2019
- एजूकेशनल आइकान अवार्ड
- ब्रांड्स इंपेक्ट द्वारा प्राइड आफ इंडियन एजूकेशनल अवार्ड
- राष्ट्रीय पुरस्कार
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अन्य शिक्षा नवाचार
- गरीब मेधावियों के लिए जालौन करियर प्रोग्राम का शुभारंभ
- बालिका शिक्षा के तहत बीहड़ क्षेत्र की गरीब बेटियों को गोद लेकर उनको आगे स्नातक की पढ़ाई के लिए प्रयास