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मोटर फुंकी, पेयजल संकट से जूझ रहे कई गांव

संवाद सूत्र रामपुरा ब्लाक क्षेत्र में नदियापार के गांवों के लोगों को भीषण जलसंकट का सामना

By JagranEdited By: Published: Tue, 26 Mar 2019 05:08 PM (IST)Updated: Tue, 26 Mar 2019 05:08 PM (IST)
मोटर फुंकी, पेयजल संकट से जूझ रहे कई गांव
मोटर फुंकी, पेयजल संकट से जूझ रहे कई गांव

संवाद सूत्र, रामपुरा : ब्लाक क्षेत्र में नदियापार के गांवों के लोगों को भीषण जलसंकट का सामना करना पड़ रहा है। जलस्तर गिरने से नहीं बल्कि जल संस्थान की लापरवाही के कारण लोग समस्या से जूझ रहे हैं। ग्रामीण इलाकों में लोग एक एक बूंद पानी को मोहताज हैं। चार माह से मोटर फुंकी होने के चलते टंकी की सप्लाई ठप है। जिम्मेदार लोग इस अपना पल्लू झाड़ रहे हैं।

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गर्मी की शुरुआत हो गई है। शासन प्रशासन नगरीय व ग्रामीण इलाकों में पानी का संकट पैदा न होने देने की दुहाई दे रहे हैं। वहीं विभागीय जिम्मेदारों की घोर उदासीनता के चलते दिन पर दिन पेयजल संकट बढ़ता जा रहा है। बता दें कि ब्लाक क्षेत्र के नदियापार के ग्राम कदमपुरा में वर्ष 1989-90 में ग्रामीण पेयजल समूह योजनांतर्गत नलकूप लगवाकर टंकी का निर्माण करवाया गया था। जिससे करीब डेढ़ दर्जन गांवों की जलापूर्ति होना सुनिश्चित किया गया था। कई महीनों से मोटर फूंकी होने व यांत्रिक कमी के चलते पूरी तरह से ठप पड़ी है जिससे लोगों को एक-एक बूंद भी पानी नसीब नहीं हो पा रहा है। पानी तो नहीं लेकिन बिल जरूर मिले : ग्रामीण श्याम सिंह, यादराम, भानुप्रताप, संजू, राजू, बाबूराम व डालचंद्र आदि कहते हैं कि पिछले चार महीने से टंकी की सप्लाई बिल्कुल ठप पड़ी है। हम लोगों को एक बूंद पानी के लिए तरसना पड़ रहा है। उसके बावजूद 8 से 9-9 हजार रुपये के बिल जरूर थमा दिए गए। जिससे लोगों में आक्रोश व्याप्त है। लाइन भी नहीं बिछी : ग्रामीण बताते हैं कि जब से यह टंकी बनी है तब से आज तक ग्रामीणों द्वारा मांग किए जाने के बाद भी गांव के अंदर पाइप लाइनों को नहीं बिछाया गया है, जबकि विभाग का कहना है लाइन बिछ चुकी है। इन गांवों की होती थी जलापूर्ति : हनुमंतपुरा, कुसेपुरा, कदमपुरा, छोटीबेड, लक्ष्मणपुरा, सुंदरपुरा, सिद्धपुरा, रिठौरा, भेलावली आदि सहित करीब डेढ़ दर्जन गांवों में जलापूर्ति की जानी सुनिश्चित थी। विभागीय अधिकारियों की उदासीनता के कारण आज सिर्फ कदमपुरा, छोटीबेड व हनुमन्तपुरा में ही जब टंकी की सप्लाई होती है तब पानी पहुंच पाता है। शेष गांव इससे वंचित हैं। दो साल से नहीं की गई सफाई : इन टंकियों की सफाई साल में दो बार यदि न हो सके तो एक बार जरूर होनी चाहिए मगर वर्ष 2017 से एक बार भी सफाई नहीं की गई है। तीन साल से बजट नहीं आया है इस वजह से ठेकेदारों ने काम करना बंद कर दिया है। जिलाधिकारी से बैठक में इसकी समस्या रखी गयी थी लेकिन कोई हल नहीं निकाला। तीन जगह की मोटरें खराब हैं जिनको ठीक कराने की अभी गुंजाइश नहीं है। -श्याम बाबू, जेई जल संस्थान


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