देवोत्थान एकादशी की पूजा होते ही शुरू हुए मांगलिक कार्य
जिले भर में बुधवार को देवोत्थान एकादशी का त्योहार बड़े ही हर्षोल्लास
जागरण टीम, उरई : जिले भर में बुधवार को देवोत्थान एकादशी का त्योहार बड़े ही हर्षोल्लास से मनाया गया। इस दिन गन्ने की पूजा तथा ठाकुरजी को आग के पास बैठाकर तपाए जाने की परंपरा है। मान्यता के अनुसार इस दिन से मांगलिक कार्यो की शुरूआत हो जाती है। जहां स्त्रियों ने घरों में तुलसी-शालिग्राम का ब्याह रचाया वहीं मंदिरों में महिलाओं ने पूजा अर्चना की।
देव-उत्थान एकादशी पर लोगों ने गन्ना की पूजा की। गन्ने का घर में आंगन के बीचोंबीच मंडप लगाकर उसके नीचे ठाकुरजी को बैठाकर उनकी पूजा-अर्चना की। पूजा के दौरान ठाकुरजी को आग से तपाए जाने का भी प्रावधान है। माना जाता है कि आज के दिन से ही सर्द ऋतु की हवाओं का चलना आरंभ हो जाता है। इस माह की एकादशी को प्रबोधनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। कई शास्त्रों के अनुसार ठाकुरजी आषाढ़, सावन, भादौं व कुंआर मास में विश्राम के लिए जाते हैं। एकादशी को वे जाग जाते हैं और इसके साथ ही घरों में मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं। इस दिन महिलाएं तुलसी-शालिग्राम के विवाह का आयोजन करती हैं।इसी दिन चातुर्मास की समाप्ति होती हैं तथा कार्तिक स्नान करने वाली महिलाओं द्वारा विशेष पूजा अर्चना मंदिरों में की गई। जालौन में छठी माता मंदिर में हुआ मेले का आयोजन
एकादशी के अवसर पर नगर के छठी माता मंदिर पर मेले का आयोजन किया गया। इस दौरान हजारों महिलाओं ने देवीजी के मंदिर में जाकर पूजा-अर्चना कर प्रसाद चढ़ाया तथा घरों में होने वाले मांगलिक कार्य को सकुशल सम्पन्न होने की माता से कामना की। मुहल्ला काशीनाथ में विनोद अमखेड़ा तथा लौना मार्ग महाराज सिंह के यहां तुलसी जी को ब्याहने पहुंची। सभी पारंपरिक रस्मों के साथ शालिगराम व तुलसी का ब्याह हुआ। घर घर में गूंजा उठो देव, उठो देव, गुड़ माड़े खाओ.
देवोत्थान एकादशी पर्व परंपरागत रूप से मनाया गया। त्योहार के मद्देनजर गन्ना खूब बिका।
चार महीने तक शयन के बाद कार्तिक शुक्ल एकादशी को भगवान विष्णु जाग गए हैं। घर के सभी सदस्यों ने विधि विधान से भगवान की पूजा की और बाद में धान डाल कर सभी ने प्रदक्षिणा की। पूजा करते समय बुंदेली परंपरानुसार भगवान से प्रार्थना की जाती है, उठो देव, उठो देव, गुड़ माड़े खाओ, कुंवारिन के व्याऔ कराओ, व्यावन के चलाये कराओ। घरों के दरवाजों पर दीये भी जलाए गए और बच्चों ने पटाखे फोड़े। पर्व पर पूजा जाने वाला गन्ना भी खूब बिका। गांव देहात के तमाम गन्ना किसान ट्रैक्टरों और गाड़ियों में भर कर गन्ने शहर में बेचने के लिए लाए।