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शिशु कल्याण केंद्र बना दिखावा, नहीं पहुंचती एएनएम

संवाद सूत्र, महेबा : ग्रामीणों की सुविधाओं के लिए गांव में बनाए गए मातृ शिशु कल्याण केंद्र महि

By JagranEdited By: Published: Sun, 10 Feb 2019 11:35 PM (IST)Updated: Sun, 10 Feb 2019 11:35 PM (IST)
शिशु कल्याण केंद्र बना दिखावा, नहीं पहुंचती एएनएम
शिशु कल्याण केंद्र बना दिखावा, नहीं पहुंचती एएनएम

संवाद सूत्र, महेबा : ग्रामीणों की सुविधाओं के लिए गांव में बनाए गए मातृ शिशु कल्याण केंद्र महिलाओं के काम नहीं आ रहे हैं। निबहना में कई वर्षों से एएनएम के न पहुंचने से शिशु कल्याण केंद्र खंडहर होने की कगार पर है, जिसमें अन्ना पशुओं का बसेरा बना रहता है।

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सरकार ने महिलाओं की स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए अधिकांश ग्राम पंचायतों में मातृ शिशु कल्याण केंद्र स्थापित करवाए हैं। जानकारी के अनुसार इन केंद्रों के निर्माण में 6 से 7 लाख रुपये तक का व्यय किया गया लेकिन इन केंद्रों की हकीकत कुछ और ही है। विकास खंड महेबा के ग्राम निबहना के ग्रामीणों ने बताया की गांव में डेढ़ दशक पूर्व मातृ शिशु कल्याण केंद्र की स्थापना की गई है। जिसके निर्माण होने के बाद स्वास्थ्य विभाग के कर्मियों ने क्षेत्र पंचायत की बैठक में जानकारी दी थी कि इस शिशु कल्याण केंद्र पर गर्भवती महिलाओं के टीकाकरण से लेकर प्रसव प्रक्रिया भी संपन्न कराई जाएगी। ग्रामीणों ने बताया की एक दशक पहले इस शिशु कल्याण केंद्र पर कभी-कभार एएनएम आकर टीकाकरण किया करती थी। अब 2 साल से अधिक समय बीत गया इस कल्याण केंद्र पर न तो कोई एएनएम आई और न स्वास्थ्य विभाग का कोई कर्मचारी। ग्रामीणों ने बताया यह केंद्र एक भी दिन नहीं खुलता है। जबसे यह केंद्र स्थापित हुआ है तबसे इस केंद्र की न तो रंगाई-पुताई की गई है और न ही सफाई हुई है। केंद्र की दीवारें जर्जर स्थिति में हैं। अगर वहां एएनएम प्रतिदिन आती भी होती तो भी खस्ताहाल शिशु कल्याण केंद्र पर कोई भी महिला टीकाकरण नहीं कराती। ग्रामीणों ने बताया कि जब से केंद्र स्थापित हुआ है तब से इस केंद्र पर एक भी प्रसव नहीं कराया गया है। इधर सरकार ग्रामीण क्षेत्र के शिशु कल्याण केंद्रों के रखरखाव, साज-सज्जा व रंगाई-पुताई के लिए प्रतिवर्ष ग्राम प्रधान के खाते में धनराशि पहुंचाती है। इस धनराशि को एएनएम व ग्राम प्रधान के संयुक्त हस्ताक्षर से खाते का संचालन करके व्यय किए जाने का प्रावधान है। फिर भी इन शिशु कल्याण केंद्रों को सुसज्जित नहीं किया जा रहा है। एएनएम के न पहुंचने व इन केंद्रों पर स्वच्छता व सुविधाएं ना होने की वजह से गर्भवती महिलाएं प्रसव के समय इन खस्ताहाल केंद्रों पर पहुंचकर अपनी जान जोखिम में नहीं डालना चाहती हैं। अधिकारियों को ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्र नियमित रूप से संचालित कराने के लिए प्रत्येक सप्ताह निरीक्षण करना चाहिए।

इस संबंध में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बाबई के चिकित्सा अधीक्षक वीर प्रताप ¨सह ने बताया की निबहना शिशु कल्याण केंद्र पर दो वर्षों से एनएम की नियुक्ति नहीं है। समय-समय पर अन्य क्षेत्र की स्वास्थ्य वर्करों से टीकाकरण करा दिया जाता है।


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