नाला उफनाने से सौ बीघा खेत जलमग्न, फसल बर्बाद
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संवाद सहयोगी, माधौगढ़ : ब्लॉक क्षेत्र के सोप्ता गांव के पास से निकला गंधा नाला ओवरफ्लो हो गया। इससे तीन गांवों के करीब 24 किसानों की सौ बीघा से ज्यादा फसल जलमग्न हो गई। किसानों ने तहसीलदार को शिकायती पत्र देकर मुआवजा दिलवाने की मांग की।
सोप्ता व जनकपुरा गांव के पास से गंधा नाला निकला है। इसकी सफाई न होने से शनिवार देर रात नाला ओवरफ्लो हो गया। इससे सोप्ता, जनकपुरा व सिहारी गांव के 24 किसानों की सौ बीघा में लगी फसल में पानी भर गया। किसानों ने बताया कि गांव के पास से निकले नाला में कुटरा माइनर व सिरसा माइनर का पानी आता है। नाला की सफाई न होने से शनिवार देर रात पानी ओवरफ्लो हो गया। इससे खेतों में लगी गेहूं, मटर, मसूर, चना, सरसों की फसल जलमग्न हो गई है। सिहारी के पास पुलिया हुई जाम
किसानों ने बताया कि सिहारी के पास बनी पुलिया जाम होने से पानी की निकासी नहीं हो रही है। इसमें दो पाइप डाले जाएं, तभी समस्या का निदान संभव है। रातभर में ही उनकी उम्मीदों में पानी भर गया। अब दो जून की रोटी का संकट खड़ा हो जाएगा। इनकी मेहनत हुई बर्बाद
सचिवेंद्र सिंह की चार बीघा, जयपाल की तीन बीघा, साहब सिंह की चार बीघा, द्वारिका की तीन बीघा, रामसेवक की तीन बीघा, श्रीराम की चार बीघा, सुरेंद्र सिंह आठ, महेंद्र सिंह दो, रामस्वरूप दो, शोभाराम तीन, शिव सिंह तीन, रामप्रकाश तीन, विनोद तीन, मायाराम पांच, अखिलेश तीन, जागेश्वर की तीन बीघा खड़ी फसल में पानी भर गया। इसके अलावा कई और किसानों की फसलें डूबकर सड़ने लगी हैं। किसानों ने तहसीलदार प्रेमनारायण को शिकायती पत्र दिया है। उधर, एसडीएम शालिकराम का कहना है कि किसानों के नुकसान की जांच करवाकर मुआवजा दिलवाया जाएगा। किसानों का दर्द
किसान सुरेंद्र पाल का कहना है कि हर साल उनकी मेहनत बर्बाद हो जाती है। नाला के पानी से खेत जलमग्न हो जाते हैं। आज तक गंधा नाले की सफाई नहीं की गई है। अगर सफाई हो जाती तो किसानों का नुकसान नहीं होता। किसान सचिवेंद्र का कहना है कि कई बार अधिकारियों से शिकायत की गई लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है। अगर गंधा नाला की सफाई हो जाती तो खेत जलमग्न होने से फसल चौपट न होतीं। किसान नृपतिलाल का कहना है कि खेत जलमग्न होने से जटिल समस्या पैदा हो गई है। अगर गंधा नाला ओवरफ्लो न होता तो शायद उनकी फसल अच्छी होती लेकिन अब काफी नुकसान हुआ है। किसान राकेश सिंह का कहना है कि हर वर्ष किसानों के साथ यही होता है। इससे किसानों की जमीन जलमग्न होने से खाने पीने की समस्या जटिल हो जाती है।