बारिश से फसल को मिली संजीवनी खुश हुए किसान
सड़क सुरक्षा कार्यक्रम के अन्तर्गत आज बी के डी एल्ड्रिच पब्लिक स्कूल झाँसी रोड उरई में स्कूल बसो की चैकिग क्षेत्रा धिकारी संतोष कुमार जी न्ह्मह्लश्र प्रशासन श्री मती सोमलता जी एव यातायात प्रभारी राकेश सिंह ने सँयुक्त रूप से की ।चैकिग में स्कूल
संवाद सूत्र, महेबा : जुलाई के अंतिम सप्ताह में जनपद में हुई बारिश का पानी खरीफ की फसल के लिए संजीवनी साबित हुई है। बारिश से किसान बेहद खुश हैं। कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि 31 जुलाई तक बाजरा, अरहर, मूंग, उर्द, तिल की बोआई हो सकती है।
खरीफ की फसल में पूरे जनपद में माकूल बारिश नहीं होने की वजह से हजारों एकड़ भूमि बगैर बोआई के पड़ी थी। जहां हल्की-फुल्की हुई थी वहां बोआई होने के बाद जो भी जिस बोई गई थी, तेज धूप और गर्मी के कारण मुरझाने लगी थी।
उरकरा कला, गोरा कला, सरसेला, बीजापुर, बैरई, नियामतपुर, दमरास, भगोरा, पिथऊपुर सहित कई गांवों के किसानों ने बताया कि बुधवार के दिन और रात में हुई बारिश खरीफ की फसल के लिए संजीवनी का काम करेगी। पूरे जनपद में बारिश न होने की वजह से किसान एक जुलाई से ही परेशान थे और बारिश की बाट जोह रहे थे। इस पानी से फसल जीवित हो जाएगी तथा जहां बोआई नहीं हो सकी है वहां बोआई भी हो जाएगी। होने लगी निराई गुड़ाई
बारिश होने के बाद गुरुवार को ही किसान खेतों में कुम्हेड़ा आदि फसलों की निराई गुड़ाई में जुट गए हैं। अब किसानों को उम्मीद है कि बीच-बीच में बारिश होती रही तो खरीफ की फसल से अच्छा लाभ मिल जाएगा। किसान बोले
बारिश न होने से जो फसल बोई गई थी वह भी बेकार हो रही थी। बहुत सही समय पर बारिश हुई है। अब पौधों का विस्तार हो जाएगा। मेवालाल पिथऊपुर कुम्हेड़ा की फसल बगैर पानी के मुरझाने लगी थी। उसकी निराई गुड़ाई भी नहीं हो पा रही थी जिसकी वजह से पौधे सूखने के आसार पैदा हो गए थे। बारिश से लाभ हुआ है। राममूरत सावन का आधा महीना निकल गया और जेठ बैशाख जैसी तेज धूप के साथ गर्मी पड़ रही थी। इससे हजारों एकड़ जमीन बगैर बोआई के पड़ी थी अब बोआई हो जाएगी। महेंद्र पाल बुंदेलखंड का किसान दैवीय आपदाओं से कई वर्षों से परेशान है। इस वर्ष भी सूखा जैसी स्थिति लग रही थी। अब बारिश होने से कुछ पैदावार की उम्मीद बनी है। श्यामाचरण धामिनी खरीफ की फसल को इस बारिश से पूरा लाभ मिलेगा तथा 31 जुलाई तक उर्द, मूंग, तिल, बाजरा, अरहर की बोआई हो सकती है। अंकुरित फसल में अगर अधिक पानी भरा है तो निकाल दें। डॉ. राजीव कुमार सिंह, वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक