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आजादी के बाद से एक पुल को तरस गए चार गांव

के 73 वर्षों बाद भी 4 गांव के लोग पक्के पुल से नह

By JagranEdited By: Published: Sat, 17 Oct 2020 06:03 PM (IST)Updated: Sat, 17 Oct 2020 06:03 PM (IST)
आजादी के बाद से एक पुल को तरस गए चार गांव
आजादी के बाद से एक पुल को तरस गए चार गांव

संवाद सूत्र, रामपुरा : आजादी के 73 वर्षों बाद भी 4 गांव के लोग पक्के पुल से नहीं गुजर सके। अब पांटून पुल की ही आस के भरोसे आंखे इंतजार कर रही हैं। इलाकाई लोगों ने इस नदी पर पुल बनवाने की मांग उठाई है।

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ब्लॉक क्षेत्र की नदिया पार की ग्राम पंचायत बिलौड़ व सुल्तानपुरा के ग्रामीण हाट बाजार, अस्पताल, स्कूल, नाते रिश्तेदारों के यहां पर भी जाने आने के लिए तरसते हैं क्योंकि उस ओर से इस ओर आने के लिए कोई पक्का तो दूर वैकल्पिक पुल की भी व्यवस्था आज तक नहीं हो सकी है। बस सिर्फ नाव से ही आवागमन हो सकता है लेकिन इस बार नाव की भी व्यवस्था न होने से ग्रामीण मध्यप्रदेश से ही आवागमन करने को मजबूर हैं। पहुज नदी, सिध नदी के उस ओर ब्लॉक की ग्राम पंचायत बिलौड़, जखेता, हु़कूमपुरा तथा सुल्तानपुरा बसा है। जिन गांव के लोगों को हाट बाजार या अस्पताल जाना होता है तो मध्यप्रदेश के जिला भिड ही जाना पड़ता है। इलाके के ग्रामीणों की पुरजोर मांग के बाद विधायक मूलचंद्र निरंजन द्वारा वर्ष 2018-19 में बिलौड़ घाट पर पांटून पुल को स्वीकृति दिलवाकर बनवा दिया था। जिससे ग्रामीणों ने कुछ राहत की सांस ली थी। पहले ग्रामीण पुल न होने से नाव से होते थे आर-पार

ग्रामीणों को हाट बाजार व अन्य जगहों को जाने के लिए नाव की व्यवस्था की जाती थी लेकिन इस बार नाव भी न होने से लोग घरो में कैद रहने को मजबूर हैं।

लोगों का दर्द

पुल न होने से आवागमन नहीं हो पा रहा है। इसका असर विकास कार्यो पर भी पड़ रहा है। क्योंकि सामग्री भी नही पहुंच पाती है मजबूरन मनमाने दामों पर लोगों को मध्यप्रदेश से खरीददारी करनी पड़ती है।

महेश सिंह, प्रधान, बिलौड़ लोगों की मांग है कि ज्यादा नहीं तो पांटून पुल ही जल्दी बनवा दिया जाए तो लोगों को आवागमन में सुविधा हो सकेगी।

- रुद्रप्रताप सिंह, जायघा

15 अक्टूबर से पांटून पुल के बनवाने की पहल शुरू करने के लिए कर्मचारियों को निर्देश दिए गए हैं ।अगले 10 दिन में पुल बन जाएगा।

आरके द्विवेदी, अवर अभियंता पीडब्ल्यूडी


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