तर्पण के लिए
संतोष ही सबसे बड़ा सुख मेरे पूज्य पिता स्वर्गीय कैलाश आनंद ने बचपन से ही हम सभी भाई बहनों क
संतोष ही सबसे बड़ा सुख
मेरे पूज्य पिता स्वर्गीय कैलाश आनंद ने बचपन से ही हम सभी भाई बहनों को संतोष रखने की सीख दी। वह कहते थे कि संतोष ही सबसे बड़ा सुख है। जो पास में है वही तुम्हारा है। किसी दूसरे की धन दौलत देखकर उससे ईष्र्या नहीं करनी चाहिए। गलत तरीके से धन का अर्जन कभी नहीं होना चाहिए। ऐसा पैसा पास नहीं रहता है। किसी न किसी बहाने चला जाता है। ईमानदारी से ही व्यवसाय और अपना काम करो तो तुम्हें अपने आप ही बहुत कुछ मिल जाएगा। कभी किसी को नुकसान करने की बात में भी मन में मत लाना। इससे उसका भले ही कुछ न बिगड़े लेकिन तुमको नुकसान उठाना पड़ सकता है। अपने पिता की कही हुई बातें हम सभी को अब तक याद हैं। उनके दिखाए रास्ते पर चलकर हम सभी लोग सुख से हैं। कभी किसी चीज की कमी नहीं महसूस होती है। यह सब पिता जी का ही प्रताप है जो उन्होंने नेक रास्ते पर चलने की सीख दी। खुशी इस बात की है कि हम सभी ने उनकी बातों का अनुसरण किया। पूज्य पिता को हम सभी श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं।
विकास आनंद
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गरीबों की मदद करने से मिलता पुण्य
मेरी पूज्य माता स्वर्गीय सुखदेवी जी आज भले ही हम लोगों के बीच में नहीं है लेकिन उनकी नसीहत और बातें अब तक जेहन में ताजा है। सादगी भरा जीवन और अच्छे विचार ही उनकी पूंजी थे। उन्होंने इस पूंजी को अपने सभी पुत्र पुत्रियों को बांटा भी। माता जी कहती थीं कि हमेशा दूसरों की भलाई के लिए तत्पर रहना चाहिए। इसमें स्वार्थ का स्थान बिल्कुल नहीं होना चाहिए। स्वार्थ आ गया तो पुण्य के बदले पाप मिलता है। अच्छे विचारों और मन से उन लोगों की मदद करना जो गरीब और जरूरतमंद हों। उनकी इतनी दुआएं मिलेंगी कि कभी दुख पास नहीं फटकेगा। लोगों का आशीर्वाद मिलेगा। इससे तरक्की और उन्नति होगी। अगर किसी के बारे में गलत सोचा को नुकसान तुम्हें जरूर होगा। इसलिए हमेशा नेक कार्य करो। तुमसे जो सके उतना मानवता के कार्य करो। माता जी कही हुई बातें आज भी याद हैं। प्रयास करते हैं कि हमेशा उनकी सीख पर अमल करें। उनकी बातें याद कर सुखद अनुभूति होती है। हम सभी परिवार के लोग माता जी को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं।
अजीत कुमार बाथम