आलू की फसल को पिछेता झुलसा बीमारी से बचाएं किसान
र छिड़काव तुरंत करें। साथ ही जिन खेतों में बीमारी प्रकट हो चुकी हो उनमें किसी भी फफूंद नाशक साईमोक्सेनिल प्लस मैन्कोजेब का 3.0 किलोग्राम एक हजार लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर छिड़काव करना चाहिए। या फिर फेनोमिडोन प्लस मैंकोजेब का 3.0 किलोग्राम एक हजार लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर किया जा सकता है। जिला उद्यान अधिकारी ने बताया कि आलू उत्पादक किसानों को बीमारी को लेकर सावधानी बरतनी चाहिए।
जागरण संवाददाता, उरई : वर्तमान में चल रहे मौसम को देखते हुए केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान मेरठ ने किसानों को आलू की फसल में लगने वाली पिछेता झुलसा बीमारी से सावधानी बरतने को कहा है। इस संबंध में उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग के निदेशक ने सभी जिला उद्यान अधिकारियों को पत्र जारी कर दिया है।
उद्यान विभाग के मुताबिक जारी पत्र में कहा, कि वर्तमान समय का मौसम आलू की फसल अगेती पिछेती झुलसा के अनुकूल कर रहा है। इसी तरह का मौसम तीन दिनों तक रहने पर आलू की फसल में अगेती पिछेती झुलसा की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। पिछेता झुलसा बीमारी में पत्तियों एवं तने पर काले धब्बे बनते हैं जो धीरे-धीरे बढ़ते हैं और दो दिनों के अंदर ही पूरी फसल की स्थिति जलने जैसी हो जाती है। यह बीमारी किसानों को तब दिखाई देती है जब ऊपर पत्तों पर काले धब्बे दिखाई देते हैं, लेकिन तब तक देर हो चुकी होती है। जिला उद्यान अधिकारी राजेश कुमार वर्मा ने बताया कि केंद्रीय आलू अनुसंधान के मुताबिक पिछेता झुलसा बीमारी की रोकथाम के लिए मैन्कोजेब, प्रोपीनेब, क्लोरोथेलोंनील युक्त फफूंद नाशक दवा का रोग सुग्राही किस्मों पर 0.2-0.25 प्रतिशत की दर से अर्थात 2.0 - 2.5 किलोग्राम दवा एक हजार लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर छिड़काव तुरंत करें। साथ ही जिन खेतों में बीमारी प्रकट हो चुकी हो उनमें किसी भी फफूंद नाशक साईमोक्सेनिल प्लस मैन्कोजेब का 3.0 किलोग्राम एक हजार लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर छिड़काव करना चाहिए। या फिर फेनोमिडोन प्लस मैंकोजेब का 3.0 किलोग्राम एक हजार लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर किया जा सकता है। जिला उद्यान अधिकारी ने बताया कि आलू उत्पादक किसानों को बीमारी को लेकर सावधानी बरतनी चाहिए।