जरूरतमंदों को रोजगार, बढ़ाया हरियाली का संसार
ब्रजेंद्र सिंह महेबा जिस बंजर जमीन पर कल तक कंटीली झाड़ियां नजर आती थीं आज वहां फलदार और छायादार पौधे नजर आ रहे हैं। यह संभव हो सका है पाल गांव के प्रधान सोबरन निषाद की पहल से। उन्होंने न सिर्फ गांव वालों को पर्यावरण के महत्व से परिचित कराया बल्कि सरकारी जमीन पर मनरेगा से कार्य कराकर लोगों को रोजगार भी मुहैया कराया। महेवा विकासखंड के पाल गांव में लगभग चालीस एकड़ सरकारी बंजर पड़ी थी। कंटीली झाड़ियां होने की वजह से गांव के लोग यहां आने से कतराते थे। तीन वर्ष पूर्व सोबरन निषाद जब प्रधान बने तो उन्होंने इस बंजर जमीन को उपयोगी बनाने की ठानी। इसके लिए मनरेगा से काम शुरू कराया। जमीन की सफाई होती गई और वह पौधारोपण करते रहे। वर्तमान में इस जमीन पर तकरीबन 35 हजार पौधे पल्लवित हो चुके हैं। अब यहां हरियाली ही हरियाली दिखाई दे रही है। पौधों को पानी देने के लिए प्रधान ने अपने खर्च से सबमर्सिबल पंप भी लगवाया है।
ब्रजेंद्र सिंह, महेबा
जिस बंजर जमीन पर कल तक कंटीली झाड़ियां नजर आती थीं, आज वहां फलदार और छायादार पौधे नजर आ रहे हैं। यह संभव हो सका है पाल गांव के प्रधान सोबरन निषाद की पहल से। उन्होंने न सिर्फ गांव वालों को पर्यावरण के महत्व से परिचित कराया बल्कि सरकारी जमीन पर मनरेगा से कार्य कराकर लोगों को रोजगार भी मुहैया कराया।
महेवा विकासखंड के पाल गांव में लगभग चालीस एकड़ सरकारी बंजर पड़ी थी। कंटीली झाड़ियां होने की वजह से गांव के लोग यहां आने से कतराते थे। तीन वर्ष पूर्व सोबरन निषाद जब प्रधान बने तो उन्होंने इस बंजर जमीन को उपयोगी बनाने की ठानी। इसके लिए मनरेगा से काम शुरू कराया। जमीन की सफाई होती गई और वह पौधारोपण करते रहे। वर्तमान में इस जमीन पर तकरीबन 35 हजार पौधे पल्लवित हो चुके हैं। अब यहां हरियाली ही हरियाली दिखाई दे रही है। पौधों को पानी देने के लिए प्रधान ने अपने खर्च से सबमर्सिबल पंप भी लगवाया है। एक हजार वृक्ष फल भी देने लगे हैं। इसके अलावा जल संचयन के लिए प्रधान ने दस जलरोधन बांध भी बनवाए हैं। पौधों की देखभाल के लिए उन्होंने दस माली भी नियुक्त किए हैं और पूरी 40 एकड़ जमीन के लिए फेंसिंग भी करा दी है। यह पौधे लगे
बाग में अमरूद ,आंवला ,अनार, शहतूत ,बेल , कदम,जामुन ,इमली ,करौंदा ,नीबू, कटहल ,आम ,लीची ,पीपल, बरगद , नीम ,शीशम ,अशोक, अर्जुन आदि के पौधे रोपे गए हैं।