मुसीबत में किसान, पानी बिन पलेवा नहीं
संसू,महेबा : खरीफ की फसल में परेशान झेलने वाले अन्नदाता अभी मुसीबत से उबरे नहीं हैं। बड़
संसू,महेबा : खरीफ की फसल में परेशान झेलने वाले अन्नदाता अभी मुसीबत से उबरे नहीं हैं। बड़े यानी निजी नलकूप वाले तो अपने खेतों में पलेवा कर रहे हैं, पर छोटे किसान सिर पर हाथ रखकर बैठे हैं। माकूल बारिश नहीं होने से जोताई के बाद मिट्टी के बड़े टुकड़े महीन नहीं किए जा पा रहे हैं। कारण ऊपरी सतह की नमी खत्म हो गई है। जिसके चलते किसान पलेवा नहीं कर पा रहे हैं। बिना पलेवा के बोआई कैसे होगी, यह बड़ा संकट बना हुआ है।
बुंदेलखंड के किसान कई वर्षों से कभी सूखा तो कभी ओलावृष्टि के कारण हमेशा नुकसान में रहे हैं। इस वर्ष खरीफ की फसल में किसानों को उम्मीद थी कि वह अधिक से अधिक पैदावार करके पुराने घाटे की भरपाई कर लेंगे लेकिन पहले बारिश नहीं हुई। बाद में लगातार बारिश होने से जो फसल बोआई की थी, वह नष्ट हो गई। अब रबी की बारी आई तो सितंबर माह के अंतिम पखवारे में बारिश न होने की वजह से खेतों में ऊपर की नमी चली गई। किसानों ने बताया कि जब खेत की जोताई की गई तो उसमें बड़े-बड़े ढेले निकल आने की वजह से कोई भी खेत बोआई लायक नहीं है।
सरसों, मटर व मसूर की होनी है बोआई
इस समय सरसों, मटर, मसूर की बोआई का समय चल रहा है। हर खेत को पानी की आवश्यकता है। बगैर पलेवा के कोई खेत नहीं बोया जा सकता है। जिन किसानों के पास निजी संसाधन हैं वह पलेवा करके अपने खेतों को तैयार कर रहे हैं लेकिन छोटे और मजबूर किसान दूसरों के सहारे बैठे हुए हैं।
नंबर लगाकर मिल पा रहा पानी
इस समय उन्हें बड़े किसानों द्वारा बमुश्किल से नंबर लगाकर पानी दिया जा रहा है। वहीं नहर में पानी नहीं आने की वजह से किसानों के सामने समस्या बनी हुई है। अगर 15 दिन के अंदर समय से खेतों के पलेवा नहीं हुए तो रबी की फसल भी चौपट हो जाएगी।
22 घंटे मिले बिजली तो चले काम
किसान वीर ¨सह, शिव नारायण ¨सह, माता प्रसाद ¨सह ने बताया कि रबी के सीजन में अगर 22 घंटे बिजली दी जाए तो निजी नलकूपों व सरकारी नलकूपों से पलेवा करके किसानों की खेती की बोआई हो सकती है। अगर विद्युत की इसी तरह कटौती होती रही तो आधी खेती बगैर बोआई के रह जाएगी। नहरें भी फुलगेज से नहीं चल रही हैं जिससे भी किसान खासे परेशान हैं।