सूखा सागर सूखी गागर, सूखा नदिया का नीर है
संवाद सहयोगी कोंच वागीश्वरी साहित्य परिषद के तत्वावधान में एक कवि गोष्ठी का आयोजन किया गय
संवाद सहयोगी, कोंच : वागीश्वरी साहित्य परिषद के तत्वावधान में एक कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया।
नगर के चंद्रकुआं स्थित द्वारिकाधीश मंदिर पर बुधवार की रात हुई गोष्ठी में परिषद के अध्यक्ष कवि संतोष तिवारी सरल ने कहा कि अपने आलस्य का कर दो अंत, जागरण हो जाएगा अनंत। कवि नरोत्तम सोनी ने कहा कि ''हम बदले हैं तुम भी बदलो, जीवन बदला बदल गए हैं, चेहरे आप दर्पण बदला। पूर्व प्रवक्ता राजेश गोस्वामी ने कहा कि''सूखा सागर सूखी गागर, सूखा नदिया का नीर है, अब तो मृग जल ही मिटाता प्यासे की तीर है। कवि डॉ. हरीमोहन गुप्त ने बचपन की यादों को साझा करते हुए कहा कि अगर हो सके तो लौटा दो मेरा बचलन, दादा दादी के दुलार को मेरा चंचल मन। कवि नंदराम स्वर्णकार ने कहा कि हम योग निर्माता, हम भाग्य विधाता हैं, कभी किसी से कुछ न चाहे हम खुद दाता है। नरेंद्र मोहन मित्र ने कहा कि आरती के संख तो बजते रहे, आस्था के बंद द्वारे हो गए। इस दौरान ओमकारनाथ पाठक, एलआर श्रीवास्तव, किशोर यादव, सुनील कांत तिवारी, मुन्ना यादव, अरुण वाजपेयी,मंजू नगाइच सहित कई लोग मौजूद रहे।