कालपी तहसील क्षेत्र में गहराने लगा पेयजल संकट
संवाद सहयोगी, कालपी : कालपी तहसील के कई गांवों में गर्मी के दस्तक देते ही पेयजल संकट गहर
संवाद सहयोगी, कालपी : कालपी तहसील के कई गांवों में गर्मी के दस्तक देते ही पेयजल संकट गहराने लगा है। बीहड़ क्षेत्र में बसे इन गांवों के लोग अधिकारियों से गुहार लगा चुके हैं। फिर भी अभी तक तत्परता नहीं दिखाई गई है।
सिकरी, मुसमरिया, नसीरपुर, चुर्खी, खल्ला खाखरी, रायपुर मड़ैया, पाल, सरैनी समेत कई गांव ऐसे हैं जिनकी भौगोलिक स्थिति दुरुस्त नहीं है। रेतीले या ऊबड़-खाबड़ भूभाग में बसे गांवों में हैंडपंपों ने अभी से पानी देना बंद कर दिया है। ऐसे में ग्रामीण आगे पड़ने वाली भीषण गर्मी को लेकर विचलित नजर आ रहे हैं। हाल ही में तहसील दिवस के दौरान भी करीब दो दर्जन गांवों के ग्रामीणों ने इस मुद्दे को लेकर अधिकारियों के सामने परेशानी का बखान किया था। ग्रामीणों के अनुसार पिछले वर्ष भी वह पेयजल संकट झेल चुके हैं। अगर तत्काल कोई कदम न उठाए गए तो इस वर्ष स्थिति काफी विकट हो सकती है। कालपी क्षेत्र में महेबा तथा कदौरा ब्लाक के नदियों के किनारे के गांव को छोड़ दें तो लगभग अधिकांश गांवों में पीने का पानी का संकट उत्पन्न हो गया है। जलस्तर कम होने लगा है जिसकी वजह से हैंडपंपों ने पानी देना बंद कर दिया है।
तत्काल कदम उठाने की जरूरत
क्षेत्रीय लोगों का कहना है कि न केवल लोगों बल्कि पशुओं के लिए भी गंभीर जल संकट उत्पन्न हो गया है। इसके लिए तत्काल कदम उठाने की जरूरत है। पूर्व प्रधान
उमाशंकर, रिसाल ¨सह कुटरा, प्रमोद कुमार निषाद, भूरा निषाद, जोगेंद्र कुमार निषाद, पूर्व प्रधान प्रह्राद, रामबाबू निषाद ने जिलाधिकारी डा. मन्नान अख्तर से मांग की है कि कालपी तहसील के पेयजल संकट वाले गांवों का तत्काल सर्वे कराया जाए। यहां पर तुरंत काम शुरू करने की जरूरत है। जिससे पेयजल संकट उत्पन्न न हो। अन्यथा तमाम ग्रामीणों को सिर्फ पानी की कमी की वजह से गांव छोड़ने पड़ सकते हैं। जानवरों के लिए तो अभी से ही दिक्कत हो रही है। ग्रामीण भी क्या करें जब उन्हें ही पानी नहीं मिल पा रहा है तो वह पशुओं के लिए पानी की व्यवस्था कैसे करें।
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हैंडपंपों की खोदाई में घोटाला, जांच की मांग
सरकारी मानक के अनुसार कालपी तहसील क्षेत्र 240 फीट गहरी खोदाई के बाद ही हैंडपंप के पाइप डाले जाने चाहिए। इसके इतर जल निगम द्वारा 150-180 फुट गहरा बोर करके डिलीवरी पाइप डालकर बिना कम्प्रेशर चलाये पानी निकाल दिया गया। परिणामस्वरूप जब गर्मियों में जलस्तर जरा भी नीचे जाता है तब कम गहराई में खुदे हैंडपंप पानी देना बंद कर देते है। अगर इस लिहाज से देखें तो हैंडपंपों में 30-40 फुट पाइप की चोरी हुई। अन्य खर्चे मिलाकर एक हैंडपंप में कम से कम 25-30 हजार रुपये तक के सामान की चोरी हुई है। पूर्व प्रधान उमाशंकर निषाद और जगदेव निषाद ने इस मामले में प्रदेश के मुख्य सचिव से शिकायत की है। उनका कहना है कि हैंडपंपों में बड़ा घोटाला हुआ है। इसकी उच्च स्तरीय जांच कराई जाए और तथा दोषी अधिकारियों के विरुद्ध मुकदमा पंजीकृत करवा कर उन्हें जेल भेजा जाए।
बोले जिम्मेदार
गांवों में पेयजल आपूर्ति व दूषित पानी की समस्या की जानकारी हुई है। जल्द ही जल निगम के अधिकारियों को गांवों में भेजकर समस्या का समाधान कराया जाएगा। - सतीश चन्द्र, एसडीएम कालपी