Move to Jagran APP

बीमार व्यक्ति के साथ भेदभाव अपराध श्रेणी में

जागरण संवाददाता उरई जनपद के सिविल जज सीनियर डिवीजन एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के

By JagranEdited By: Published: Wed, 02 Dec 2020 07:46 PM (IST)Updated: Wed, 02 Dec 2020 07:46 PM (IST)
बीमार व्यक्ति के साथ भेदभाव अपराध श्रेणी में
बीमार व्यक्ति के साथ भेदभाव अपराध श्रेणी में

जागरण संवाददाता, उरई : जनपद के सिविल जज सीनियर डिवीजन एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के प्रभारी सचिव श्री विवेक कुमार सिंह ने कहा कि एचआइवी जनित बीमारी एड्स छुआ-छूत का रोग नहीं है। इससे पीड़ित मरीजों के साथ भेदभाव नहीं करना चाहिये।

loksabha election banner

वे विश्व एड्स दिवस पर आयोजित गोष्ठी को संबोधित कर रहे थे, उन्होंने कहा कि मरीज के साथ भेदभाव कानूनन जुर्म है और यह एचआइवी एड्स एक्ट-2017 के अन्तर्गत दंडनीय अपराध है। इस अपराध में तीन माह से लेकर दो साल तक की सजा व एक लाख रुपये तक के जुर्माना का प्रावधान है, इसके रोगी को बिना उसकी सहमति के उसकी जांच या उपचार के लिये मजबूर नहीं किया जा सकता है। उन्होंने इस अधिनियम की विस्तार से जानकारी देने के साथ-साथ नोवेल कोरोना वायरस से जनित बीमारी कोविड-19 से बचाव के विभिन्न उपाय भी बताये।

मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अजय सक्सेना ने बताया कि एड्स वर्तमान युग की सबसे बड़ी स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है। यानि कि यह एक महामारी है जो तीन मुख्य कारणों से होती है। इनमें असुरक्षित यौन सम्बन्ध, संक्रमित रक्त के आदान-प्रदान एवं संक्रमित मां से उसके शिशु में प्रमुख है। डॉ. संजीव गुप्ता ने बताया कि यह शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को कम कर देता है। इस अवसर पर परियोजना अधिकारी पवन चन्देल, परियोजना निदेशक अनिल सिंह, परियोजना प्रबन्धक उपेन्द्र यादव, प्राधिकरण कार्यालय प्रभारी अश्वनी कुमार मिश्रा, पीएलवी टीम लीडर अनुराग स्वर्णकार, योगेन्द्र तखेले, महेश सिंह परिहार आदि मौजूद रहे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.