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शैलपुत्री का पूजन कर भक्तों ने लगाए जयकारे

जागरण संवाददाता उरई नवरात्र के पहले दिन श्रद्धालुओं ने देवी के प्रथम स्वरूप शैल पुत्री का पू

By JagranEdited By: Published: Tue, 13 Apr 2021 11:57 PM (IST)Updated: Tue, 13 Apr 2021 11:57 PM (IST)
शैलपुत्री का पूजन कर भक्तों ने लगाए जयकारे
शैलपुत्री का पूजन कर भक्तों ने लगाए जयकारे

जागरण संवाददाता, उरई : नवरात्र के पहले दिन श्रद्धालुओं ने देवी के प्रथम स्वरूप शैल पुत्री का पूजन कर सुख समृद्धि देने की प्रार्थना की। इस दौरान मंदिर देवी के जयकारों से गुंजायमान रहे। भक्तों ने देवी के चरणों पर विभिन्न प्रकार की पूजन सामग्री अर्पित की। कोरोना संक्रमण को देखते हुए सभी मंदिरों में गाइड लाइन का पालन सुनिश्चित कराया गया। एक बार में सिर्फ पांच लोगों को दर्शन करने की अनुमति दी गई। सुबह से शाम तक पूजा पाठ का दौर चलता रहा।

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भक्त सुबह से ही देवी पूजन की तैयारियों में जुट गए। भोर का उजाला होने के पहले ही मंदिरों में दर्शनों के लिए कतार लग गई। भक्त दूरी बनाकर खड़े थे। एक बार में पांच लोगों को अंदर जाने की अनुमति दी गई। सभी भक्त मास्क लगाए हुए थे। श्रद्धालुओं ने हुल्की माता मंदिर, संकटा माता मंदिर, शीतला माता मंदिर, बड़ी माता मंदिर में पहुंच कर देवी शैल पुत्री का विधिविधान से पूजन किया। साथ ही सुख शांति देने की प्रार्थना की। मंदिर देवी के जयकारों से गुंजायमान रहे। सिर्फ दोपहर में ही कुछ देर के लिए मंदिरों के पट बंद हुए। इसके बाद देर शाम तक पूजा पाठ का क्रम चलता रहा। भक्तों ने घरों में भी कलश स्थापित कर माता रानी का पूजन किया। लगभग हर घर में दुर्गा सप्तशती के पाठ का आयोजन किया गया। कोरोना संक्रमण को देखते हुए तमाम भक्तों ने सिर्फ घर में पूजा पाठ किया। घंटा घड़ियाल की ध्वनि से वातावरण भक्तिमय नजर आ रहा था।

सुबह से ही भक्त देवी मंदिरों में पूजा के लिए पहुंचे

संवाद सहयोगी, जालौन : चैत्र मास की नवरात्र के पहले दिन नगर व ग्रामीण क्षेत्र के देवी भक्तों ने मां शैलपुत्री की पूजा अर्चना की। जिसमें सुबह से ही देवी मंदिरों में देवी भक्त पूजा के लिए पहुंचे। मंदिर परिसर में एक बार में पांच भक्तों को ही प्रवेश की अनुमति दी गई थी। इस दौरान पूरा नगर जय माता दी के जयकारों से गुंजायमान रहा।

नव संवत्सर चैत्र नवरात्र के पावन पर्व के पहले दिन नगर एवं ग्रामीण क्षेत्रों में देवी के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री की विधि विधान से पूजा अर्चना की गई। राजा हिमांचल की पुत्री पार्वती का नाम शैलपुत्री रखा गया। इनकी पूजा अर्चना करने पर सभी की मनोकामना पूर्ण होती हैं। क्योंकि इनकी तपस्या करने के बाद इन्हें भी मनोवांछित फल प्राप्त हुआ था। पार्वती पूर्व जन्म में सती थी। इस दौरान देवी भक्तों द्वारा 9 दिन का उपवास भी शुरू किया गया। नगर के बड़ी माता मंदिर, छोटी माता मंदिर, अलखिया मंदिर, नवदुर्गा मंदिर, कामाख्या मंदिर समेत ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित जालौनी माता मंदिर, करण देवी मंदिर, कालपी के वनखंडी देवी मंदिर, एट के शारदा माता मंदिर, रक्तदंतिका मंदिरों में भक्त मां के दर्शन करने के लिए पहुंचे। सुरक्षा व्यवस्था के लिए पुलिस फोर्स तैनात किया गया था।


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