20 के पहले आएंगे सीआरएस, व्यवस्थाएं दुरुस्त करने की कोशिश
जागरण संवाददाता उरई झांसी-कानपुर रेलखंड के उरई यार्ड में दोहरीकरण का कार्य क
जागरण संवाददाता, उरई : झांसी-कानपुर रेलखंड के उरई यार्ड में दोहरीकरण का कार्य करीब 35 करोड़ की लागत से किया जाएगा। कार्यदायी संस्था रेल विकास निगम लिमिटेड (आरबीएनएल) को ए-श्रेणी रेलवे स्टेशन के हिसाब से निर्माण कार्य को मानक के अनुरूप करने के निर्देश मिले हैं। 20 मार्च से पहले ही रेल मुख्य संरक्षा आयुक्त (सीआरएस) का दौरा होना है। इसको लेकर झांसी मंडल के डीआरएम संदीप माथुर ने बारीकी से यार्ड का निरीक्षण किया।
उरई यार्ड में हो रहे दोहरीकरण के कार्य को डीआरएम संदीप माथुर ने दूसरी बार शुक्रवार को हकीकत देखी। उन्होंने सबसे पहले प्लेटफार्म एक पर फूड प्लाजा के पास खुली पड़ी नल की टोटी देख नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि इससे यात्री कभी गिरकर घायल हो सकते हैं। इसे तुरंत ढकें। इसके बाद फुटओवर ब्रिज से स्टेशन अधीक्षक एपी वर्मा से प्लेटफार्म दो पर ट्रेनों के संचालन की जानकारी ली। स्टेशन अधीक्षक ने बताया कि प्लेटफार्म दो से आठ ट्रेनें गुजारी जा रही हैं।
डीआरएम ने कहा कि जब तक निर्माण कार्य चल रहा है। हर हाल में बैरिकेडिग कराई जाए। जितनी भी पैसेंजर ट्रेनें हैं। उन्हें प्लेट फार्म एक से ही गुजारा जाए। नहीं तो निर्माण कार्य के दौरान कभी भी यात्री गड्ढों में गिरकर घायल हो सकते है।
खुले केबल को दुरुस्त करने के निर्देश
उन्होंने उरई यार्ड में प्लेटफार्म के बगल खुला केबल देख नाराजगी जताई। कहा कि खुले पड़े ओएचई लाइन को मास्क कवर्ड किया जाए। डीआरएम ने कहा कि हर हाल में सीआरएस के आने से पहले व्यवस्था को दुरुस्त कर लें। किसी तरह की परेशानी आती है तो तुरंत मामले से अवगत कराएं। जिससे समय से कार्य पूरा हो सकें। डीआरएम ने कहा कि एनआई (नॉन इंटरलॉकिग के दौरान) के दौरान आठ घंटे तक ब्लॉक लेकर कार्य किया जाएगा। इस दौरान कई ट्रेनें को डाइवर्ट भी किया जा सकता है। जिससे यात्री को थोड़ी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
तीन किलोमीटर का बन रहा यार्ड
उरई स्टेशन का यार्ड तीन किलोमीटर में बनाया जा रहा है। जो करमेर रोड रेलवे क्रॉसिंग के गेट नंबर 183 से लेकर अजनारी क्रॉसिंग के गेट नंबर 181 तक तैयार किया जा रहा है। वहीं स्टेशन पर बन रहे मालगोदाम को लेकर कहा कि चारों तरफ बाउंड्रीवॉल से कवर्ड किया जाए। साथ ही मालगोदाम में आने-जाने वाली ट्रक संचालन के लिए उतनी दूरी का छोड़ दिया जाए, और वहां पर प्रवेश द्वार बनाया जाए।