जमीन के विवाद में भाइयों में चल रहा मुकदमा
जागरण संवाददाता उरई राजमिस्त्री बाबू खां की हत्या के
जागरण संवाददाता, उरई : राजमिस्त्री बाबू खां की हत्या के मामले में पुलिस की जांच में अब तक जो तथ्य सामने आए हैं, उससे वारदात में करीबियों का हाथ होने का संदेह है। वहीं बड़ी वजह विरासत की जमीन का होना सामने आया है। हालांकि पुलिस अभी कुछ भी बोलने से इन्कार कर रही है।
बाबू भाइयों में तीसरे नंबर का था। बड़ा रहीस, शरीफ, बाबू, शम्मी और रफ्फी हैं। पिता कल्लू खां ने मरने से पहले निवाड़ी की पैतृक जमीन की वसीयत शरीफ, शम्मी व रफ्फी के नाम कर दी थी। इसका पता रहीस और बाबू को चला तो उन्होंने कोर्ट में केस कर दिया। मामले की अगली तारीख 23 नवंबर को है। फिलहाल पुलिस अभी जमीन के विवाद को ही ठोस वजह मानते हुए जांच कर रही है।
बेटियों का रो-रोकर बुरा हाल
कालपी : बाबू की हत्या से पूरे मोहल्ले में सन्नाटा है। उसकी बेटी जोया, अनम और लाइवा है। छोटी पुत्री लाइवा रोते हुए पिता के कातिलों को धिक्कार रहीं थीं। बाबू खां की पत्नी नगीना भी अपने पति को बार बार देखने की गुहार मोहल्ले की महिलाओं से लगाती रही।
बाहर लेटी थी पत्नी और अन्य स्वजन
रिश्तेदार बताते हैं कि घर में बाबू व रहीस दोनों का परिवार रहता है। गुरुवार रात 12 बजे के करीब जब हमला हुआ तब गेट में अंदर से ताला लगा था। वारदात के बाद हमलावर गेट का ताला खोलकर भागे। करीबियों पर पुलिस के शक की वजह भी यही है। जानकार ही चाबी की जगह जानते हैं। फोरेंसिक टीम ने मौके से फुट प्रिंट और फिंगर प्रिंट लिए हैं। बाबू रोजाना शताब्दी से कुरारा स्थित दुकान जाते और शताब्दी से आते थे।
बाबू खां की भाभी ही उसकी सास
बाबू के बड़े भाई रहीस की पत्नी ही उसकी सास हैं। उन्होंने बाबू के तीन भाइयों पर हत्या का आरोप लगाया है। बाबू की पत्नी ने कोतवाली में चार अज्ञात लोगों के घुसकर मारपीट करने और घायल अवस्था में सीएचसी में उनकी मौत की तहरीर दी है। पुलिस ने तहरीर मुताबिक मुकदमा लिखा है।