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आयुष्मान भारत योजना बनी गरीबों के लिए संजीवनी

आयुष्मान भारत योजना बनी गरीबों को लिए संजीवनी

By JagranEdited By: Published: Sat, 20 Jul 2019 11:38 PM (IST)Updated: Sun, 21 Jul 2019 06:22 AM (IST)
आयुष्मान भारत योजना बनी गरीबों के लिए संजीवनी
आयुष्मान भारत योजना बनी गरीबों के लिए संजीवनी

जागरण संवाददाता, उरई : आयुष्मान भारत योजना धीरे धीरे रफ्तार पकड़ रही है। यूं तो जिले में एक लाख तीन हजार लोगों को आयुष्मान भारत योजना के तहत पांच लाख रुपये तक के मुफ्त इलाज के लिए पात्रता सूची में रखा गया है, लेकिन अभी शत फीसद गोल्डन कार्ड जारी नहीं हो पाए हैं। जिसकी वजह से योजना में संबद्ध स्थानीय अस्पतालों में ही ज्यादातर मरीजों का इलाज हो पाता है, जबकि गोल्डन कार्ड बनने के बाद वे देश में कही भी अपना इलाज करा सकते हैं, लिहाजा स्वास्थ्य विभाग ने अब लोकवाणी केंद्र संचालकों के माध्यम से गांव गांव कैंप लगाकर गोल्डन कार्ड बनाने की योजना बनायी है। जिससे शत फीसद गोल्डन कार्ड बन सकें।

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आयुष्मान भारत योजना के तहत जिला अस्पताल, जिला महिला अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जालौन, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र माधौगढ़ के अलावा चार निजी नर्सिंग होम भी पंजीकृत हैं। गंभीर बीमारी की स्थिति में गरीब वर्ग को लोगों को पैसे के लिए साहूकारों के सामने हाथ न फैलाने पड़े इसके लिए उन्हें पांच लाख रुपये तक के मुफ्त इलाज कराने की व्यवस्था आयुष्मान भारत योजना के तहत संभव हो पाती है। एक लाख तीन हजार लोग पात्रता सूची में हैं शामिल

जिले में एक लाख तीन हजार लोगों को पात्रता सूची में शामिल किया गया है, परंतु कई बार जिले के केंद्रों में संसाधन व चिकित्सकों की कमी की वजह प्रभावी इलाज नहीं मिल पाता, लिहाजा अब गोल्डन कार्ड बनाए जा रहे हैं। जिससे कि मरीज जिले व प्रदेश से बाहर योजना से संबद्ध बड़े अस्पताल में इलाज करा सकें। अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. सत्य प्रकाश ने बताया कि गोल्डन कार्ड बनाने का काम तेजी से चल रहा है। 15 जुलाई तक 37856 गोल्डन कार्ड जारी किए जा चुके हैं। अब 24, 26, 29 व 30 जुलाई को जनपद के सभी उप केंद्र वाले गांवों में शिविर लगाकर गोल्डन कार्ड जारी किए जाएंगे। लोकवाणी केंद्रों के माध्यम से शिविर का आयोजन होगा। तीस रुपये में गोल्डन कार्ड तैयार कर पात्रों को प्रदान किया जाएगा। अभी तक आयुष्मान भारत योजना के तहत जिले के 1662 मरीज इलाज करा चुके हैं। जिनमें 1222 ने जिले में ही इलाज कराया है।


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