गजब तर्क! सात स्टूडेंट्स आएंगे तभी कक्षा में पढ़ाएंगे
-डिग्री कालेजों में छात्र छात्राओं का कोर्स पूरा नहीं कैसे सुधरेगा परीक्षफल -दयानंद वैदिक कालेज में एमए इंग्लिस में लगी सबसे कम कक्षायें जागरण संवाददाता उरई पिछले दो वर्षों बुंदेलखंड विश्व विद्यालय का परीक्षा परिणाम बीस फीसद से भी कम आ रहा है। कई निजी डिग्री कालेज में तो स्थिति यह रही कि एक भी छात्र वहां परीक्षा पास नहीं कर पाया। परीक्षाफल शू्न्य पर पहुंचने के कारण इस बार तमाम डिग्री कालेजों में ताले पड़ गए। उनकी मान्यता खत्म कर दी गई छात्रों को रुझान सरकारी व वित्तपोषित डिग्री कालेजों की तरफ बढ़ा लेकिन वहां भी शिक्षकों की लापरवाही कम नहीं हो रही है।
जागरण संवाददाता, उरई : शिक्षकों के पास न पढ़ाने के अजब-गजब बहाने हैं। दयानंद वैदिक डिग्री कालेज के अंग्रेजी विभाग में बीते तीन माह से क्लास ही नहीं लगी है। प्रोफेसर कह रही हैं कि कक्षा में सात छात्र-छात्राएं आएंगे तभी पढ़ाएंगे। 20 फीसद भी कोर्स पूरा न होने से भविष्य को लेकर चिंतित छात्र-छात्राएं मजबूरन कोचिंग सेंटर की शरण ले रहे हैं।
कॉलेज में अंग्रेजी एमए प्रथम वर्ष की छात्रा ने बताया कि कालेज में एडमिशन लेने के बाद वह नियमित रूप से क्लास ज्वाइन करने के लिए पहुंची लेकिन तीन महीने से पढ़ाई शुरू ही नहीं हुई। उसने विभागाध्यक्ष से क्लास लेने को कहा तो उनका कहना था कि जब तक कक्षा में सात या उससे ज्यादा स्टूटेंड नहीं होंगे, वह क्लास नहीं लेंगी। मैडम के इस तर्क से नियमित कक्षा में आने वाले मेधावी छात्र-छात्राओं को पढ़ाई से वंचित रहना पड़ा है। हालत यह है कि परीक्षा में कुछ माह का ही समय बचा है और कोर्स 20 फीसद भी पूरा नहीं हुआ है। सबसे गंभीर बात यह है कि शिक्षकों के रवैये को लेकर कोई छात्र या छात्रा आवाज बुलंद करने की कोशिश करता है तो अनुशासनहीनता की कार्रवाई का भय दिखाया जाता है।
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जिम्मेदारों की सुनिए..
कक्षा में एक छात्र भी उपस्थित है तो शिक्षक को पढ़ाना चाहिए। अगर किसी प्रवक्ता ने छात्रों की कम उपस्थिति पर पढ़ाने से इन्कार किया है तो जांच कर कार्रवाई की जाएगी। अभी कोई लिखित शिकायत कभी नहीं आई है।
डॉ.तारेश भाटिया, प्राचार्य, दयानंद वैदिक डिग्री कॉलेज
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कालेज में बेहतर तरीके से शिक्षण कार्य कराने के प्रयास किए जा रहे हैं, यदि किसी प्रोफेसर के कक्षाएं न लेने की बात सामने आती है तो उसकी जांच कराकर प्रभावी कार्रवाई की जाएगी।
डॉ. देवेंद्र, प्रबंधक, दयानंद वैदिक कॉलेज