Move to Jagran APP

गंदे पानी से कर दिया सब अच्छा

शैलेन्द्र शर्मा उरई नाली में बहने वाला गंदा और बदबूदार पानी आपकी नजर में किस काम का हो सकता है? कभी सोचा है? शायद नहीं! तुफैलपुरवा के गणेशगंज निवासी किसान 62 वर्षीय विजय कुमार ने यह बखूबी सोचा। करके दिखाया ऐसा काम कि जल और पर्यावरण संरक्षण के साथ आत्मनिर्भरता की कहानी रच दी। उनकी सोच उस मोहल्ले के भी काम आई जहां जल निकासी की व्यवस्था नहीं थी। सिंचाई के संसाधनों के अभाव में विजय कुमार ने इसी गंदे पानी को अपने खेतों का टॉनिक बनाया। भारी खर्च कर जलदोहन से बचने के साथ सिंचाई की लागत बचाई। हरियाली से मुस्कराता पार्क भी तैयार किया उसमें बच्चों की बोटिंग की व्यवस्था से आय का जरिया भी। रेल पटरी किनारे बसे तुफैलपुरवा में जगह-जगह खाली प्लाट छोटे-छोटे तालाब नजर आते हैं। पांच सौ से ज्यादा घरों का गंदा पानी इन्हीं प्लाटों में जमा होता है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 04 Jun 2020 11:19 PM (IST)Updated: Fri, 05 Jun 2020 06:11 AM (IST)
गंदे पानी से कर दिया सब अच्छा
गंदे पानी से कर दिया सब अच्छा

शैलेन्द्र शर्मा, उरई

loksabha election banner

नाली में बहने वाला गंदा और बदबूदार पानी आपकी नजर में किस काम का हो सकता है? कभी सोचा है? शायद नहीं! तुफैलपुरवा के गणेशगंज निवासी किसान 62 वर्षीय विजय कुमार ने यह बखूबी सोचा। करके दिखाया ऐसा काम कि जल और पर्यावरण संरक्षण के साथ आत्मनिर्भरता की कहानी रच दी। उनकी सोच उस मोहल्ले के भी काम आई, जहां जल निकासी की व्यवस्था नहीं थी। सिंचाई के संसाधनों के अभाव में विजय कुमार ने इसी गंदे पानी को अपने खेतों का टॉनिक बनाया। भारी खर्च कर जलदोहन से बचने के साथ सिंचाई की लागत बचाई। हरियाली से मुस्कराता पार्क भी तैयार किया, उसमें बच्चों की बोटिंग की व्यवस्था से आय का जरिया भी।

रेल पटरी किनारे बसे तुफैलपुरवा में जगह-जगह खाली प्लाट छोटे-छोटे तालाब नजर आते हैं। पांच सौ से ज्यादा घरों का गंदा पानी इन्हीं प्लाटों में जमा होता है। दो बीघा से ज्यादा पानी से भरी जमीन के तलाब होने का भ्रम होता है लेकिन, यह किसी शुक्लाजी का खेत है। वर्षों से पानी भरे होने से वह इसे बेकार मान चुके हैं। गंदे पानी की कीमत विजय कुमार ने समझी। उनकी इसी क्षेत्र में ही 15 बीघा जमीन है। सिचाई का साधन न होने से मुश्किल से खेती होती थी। तीन वर्ष पहले विचार आया कि यही गंदा पानी उनकी जमीन लिए वरदान साबित हो सकता है। आठ सौ मीटर दूर गंदे पानी से भरी जगह से पंप लगा पाइप से अपने खेत की सिंचाई करने लगे। तभी उन्हें खेत तालाब योजना का पता चला। उन्होंने तीन बीघे खेत में दो तालाब तैयार करा दिए। सरकार से 1.14 लाख रुपये मिले, बाकी अपना लगाया। एक तालाब में गंदा पानी एकत्र करते हैं। गंदगी बैठने के बाद पानी दूसरे तालाब में ले जाते हैं जो सिंचाई के काम आता है। खास बात ये कि विजय कुमार बिजली इस्तेमाल नहीं करते। सौर ऊर्जा पंप योजना के तहत जिले में पहला सौर ऊर्जा पंप लगवाया। इसमें उनके 82 हजार रुपये खर्च हुए। तालाब से जो भूमि बची, उसमें पार्क बनवा दिया और बोरिग के साफ पानी में बोटिंग की व्यवस्था कर दी। जरूरत पड़ने पर ही पानी बदला जाता है। पांच रुपये प्रति बच्चा बोटिंग का आनंद लेता है। तालाब बनने से आसपास हैंडपंप अब गर्मी में नहीं सूखते।

विजय बताते हैं कि खेतों में अब पैदावार कई गुना हो गई है। तालाब के आसपास फूलों की खेती के साथ जानवरों का चारा पैदा करते हैं। पत्नी कुसुमलता फूल बेचकर सालाना छह-सात हजार रुपये कमाती है। पास में एक और तालाब खुदवाया है जिसमें मछली पालन करते हैं। इसमे पहले तालाब से पानी लेते हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.