जल संरक्षण की मिशाल बना अकोढ़ी दुबे का तालाब
संवाद सहयोगी जालौन गर्मियों के मौसम में जहां आसपास गांवों के तालाब सूख रहे हैं तो वहीं ग्राम अकोढ़ी दुबे का तालाब पानी से लबालब है। गांव वालों के लिए तो जलाशय बड़ा सहारा साबित हो ही रहा है साथ में पशु पक्षियों की भी प्यास बुझा रहा है। दो एकड़ क्षेत्रफल में फैला यह तालाब कभी सूखता नहीं है। गांव के लोग भी इस तालाब को सहेजने में कोई कसर बाकी नहीं रखते हैं।
संवाद सहयोगी, जालौन : गर्मियों के मौसम में जहां आसपास गांवों के तालाब सूख रहे हैं, तो वहीं ग्राम अकोढ़ी दुबे का तालाब पानी से लबालब है। गांव वालों के लिए तो जलाशय बड़ा सहारा साबित हो ही रहा है, साथ में पशु पक्षियों की भी प्यास बुझा रहा है। दो एकड़ क्षेत्रफल में फैला यह तालाब कभी सूखता नहीं है। गांव के लोग भी इस तालाब को सहेजने में कोई कसर बाकी नहीं रखते हैं।
भूगर्भ जल स्तर बढ़ाने का प्रमुख माध्यम हमारे परंपरागत जल स्त्रोत ही हैं। जब तक इनका अस्तित्व सुरक्षित रहा कभी धरती की कोख खाली नहीं हुई लेकिन इनकी उपेक्षा के बाद पानी का संकट गहराने लगा है। जिसको देखते हुए अब फिर से लोग परंपरागत जल स्त्रोतों के प्रति गंभीरता दिखाने लगे हैं। इस तरह की प्रचंड गर्मी में जब लोग पानी के लिए परेशान हैं तो पानी से भरे तालाब पशुओं के लिए वरदान बन गए हैं। इनमें से एक अकोढ़ी दुबे का तालाब भी है। हैंडपंप जवाब दे जाएं तो भी ग्रामीणों को चिता नहीं होती है। नहाने धोने का काम तालाब के पानी से चल जाता है। बड़ा तालाब होने के चलते इसमें पानी की कोई कमी नहीं है। गर्मी में राजस्थान से भेड़ लेकर आने वाले लोग इसी तालाब के किनारे डेरा डाल लेते हैं। भेड़ों को पानी और पेड़ों की छाया काफी सुकून पहुंचाती है। गांव की लगभग तीन हजार की आबादी तालाब को लेकर बेहद संजीदा रहती है। जरूरत पड़ने पर गांव के लोग खुद ही तालाब की सफाई कर डालते हैं जिससे इसका पानी गंदा नहीं होता है। बीडीओ महिमा विद्यार्थी गांव के तालाब को और उपयोगी बनाने के लिए प्रयास करने के लिए कह चुकी हैं। इस तालाब का जल्दी ही सुंदरीकरण होगा। गांव के ही वयोवृद्ध कृष्ण गोपाल मिश्रा बताते हैं कि यह तालाब कभी नहीं सूखा। इसकी मुख्य वजह यह रही कि गांव के लोग तालाब को सुरक्षित रखते हुए हैं। इससे गांव वालों को काफी लाभ मिल रहा है।
ग्रामीण ओमप्रकाश बाथम कहते हैं कि कल के लिए जल को बचाना जरूरी है। हर व्यक्ति को पानी बचाने की पहल करनी होगी। तभी जल संचयन की मुहिम को आगे बढ़ाया जा सकता है। वर्षा जल बचाना बेहद जरूरी हो गया है। परिवार की आजीविका का साधन भी बना तालाब
गांव के रहने वाले ओमप्रकाश इस तालाब में मछली पालन करते हैं। 18000 रुपये सालाना पट्टे पर लेकर वह इस कार्य को कर रहे हैं। इससे ही उनके परिवार का गुजर बसर होता है।