कृषि कानूनों के विरोध में लहराए काले झंडे
केंद्र सरकार के सात साल पूरे होने पर भी विरोध-प्रदर्शन सासनी में बुद्धि शुद्धि यज्ञ।
टीम जागरण, हाथरस : कृषि कानूनों का विरोध कर रहे भाकियू कार्यकर्ताओं ने केंद्र सरकार के सात साल पूरे होने पर भी विरोध स्वरूप काले झंडे लहराए। बुधवार को दावा जिलेभर में काला दिवस मनाने का किया गया था, लेकिन इसका असर सिर्फ दो तहसील क्षेत्रों में ही नजर आया। सासनी के गांव अजरोई में जिलाध्यक्ष चौधरी मलखान सिंह के नेतृत्व में सरकार को किसान विरोधी बताते हुए नारे लगाए गए और सरकार की बुद्धि शुद्धि के लिए हवन किया गया। वहीं सादाबाद क्षेत्र में पूर्व विधायक प्रताप चौधरी ने अपने आवास पर काले झंडे लगाए तो बिसावर में किसान यूनियन के कार्यकर्ताओं ने काले झंडे लेकर प्रदर्शन किया।
विरोध-प्रदर्शन के दौरान वक्ताओं ने कहा कि काला कानून वापस होना चाहिए। इसके लिए हम सबको मिलकर प्रयास करने की जरूरत है। कानून को वापस कराने के लिए क्षेत्र के सभी किसान से एकजुट होने का आह्वान किया गया। इस मौके पर चंद्रेश चौधरी, जिला अध्यक्ष उदय पाल सिंह, साहब सिंह, सुंदरलाल, मनोज पंसारी, श्यामवीर सिंह, महिपाल सिंह, दौलत सिंह आदि मौजूद रहे।
गांव अजरोई में हुए हवन के दौरान वक्ताओं ने कहा कि केंद्र सरकार किसान-मजदूरों को बड़ी-बड़ी कंपनियों के हवाले करना चाहती है। किसान विरोधी कृषि कानून वापस लिए जाएं। एमएसपी पर कानून बनाया जाए। पिछले साल की अपेक्षा बिजली व डीजल के मूल्य में बेतहासा वृद्धि हो रही है, जबकि फसल को सस्ते दाम में खरीदकर सरकार किसानों को तबाह करना चाहती है। किसानों पर कर्ज का बोझ बढ़ता जा रहा है। किसानों की जमीन को पूंजीपतियों के हवाले करने की योजना है। इस मौके पर योगेंद्र उपाध्याय, गजेंद्र सिंह, जगवीर सिंह, डिगंबर सिंह, श्यामवीर सिंह, चरन सिंह, सोनवीर सिंह, प्यारे लाल, मनोज प्रभाकर, बलवीर सिंह, राजवीर, चरन सिंह बच्चू फौजी, राजन फौजी, जोराबर, कन्हैयालाल, विशंबर, शिवराम, दलवीर सिंह, हरीमोहन, तनु चौधरी, राजकुमार सिंह, हरी चौधरी, प्रवीण सिंह, रोहित चौधरी, संदीप चौधरी, आरस चौधरी, भोलू चौधरी, कुलदीप चौधरी, सागर चौधरी, देवेश चौधरी, रामरती देवी, शकुंतला देवी, हेमलता, ऊषा सिंह, पूनम सिंह, सीमा देवी, गुडडी देवी कार्यकर्ता मौजूद रहे। हक की लड़ाई जरूरी है : चौधरी
पूर्व विधायक प्रताप चौधरी ने कहा है कि कृषि कानून किसानों के हित में नहीं है। इसलिए पंजाब सहित अन्य कई राज्यों के किसान दिल्ली में अधिकारों को लेकर काफी दिनों से लड़ाई लड़ रहे हैं। हमें भी अपने अधिकारों को लेकर गंभीर होना पड़ेगा।